आधार पर बुधवार को फैसला देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बहुमत से इतर अपने फैसले में कहा कि आधार बिल को लोकसभा में मनी बिल के रूप में पारित नहीं होना चाहिए था क्योंकि यह संविधान के साथ धोखा के समान है और निरस्त किए जाने के लायक है. इसके साथ ही उन्होंने कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सोच कि जो भी बैंक अकाउंट खोलता है वह आतंकवादी है, काफी गलत है.
पीठ में शामिल जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना फैसला अलग लिखा है जिसमें उन्होंने बहुमत से अलग अपने विचार व्यक्त किए हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एके सीकरी के बहुमत वाले फैसले को न्यायमूर्ति सीकरी ने पढ़ा.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि आधार कानून को पारित कराने के लिए राज्यसभा को दरकिनार करना एक प्रकार का धोखा है और इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 110 का उल्लंघन करने के लिए निरस्त कर दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 110 में मनी बिल के लिए विशेष आधार हैं. आधार कानून उससे आगे चला गया. इस कानून को मौजूदा स्वरूप में संवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि महज कानून बना देने से केंद्र की आधार योजना नहीं बच सकती है.
सिम मुहैया कराने वाली कंपनियां ग्राहकों का आधार डेटा नष्ट कर दें
मोबाइल फोन के जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन जाने और उसे आधार से जोड़ने को निजता, स्वतंत्रता, स्वायत्तता के लिए गंभीर खतरा बताते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने मोबाइल सेवा प्रदाताओं से कहा कि वे ग्राहकों का आधार डेटा नष्ट कर दें.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट नियमावली इस धारणा पर आगे बढ़ती है कि हर खाता धारक मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला है. उन्होंने कहा कि यह धारणा कि हर व्यक्ति जो खाता खोलता है वह आतंकवादी या मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला है यह काफी कठोर है.
उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई ने स्वीकार किया है कि वह महत्वपूर्ण सूचनाओं को एकत्र और जमा करता है और यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है. इन आंकड़ों का व्यक्ति की सहमति के बगैर कोई तीसरा पक्ष या निजी कंपनियां दुरूपयोग कर सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आधार नहीं होने तक सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ नहीं देना नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन है.
आधार योजना अपने अंदर की खामियों को दूर करने में असफल
उन्होंने कहा कि आधार योजना अपने अंदर की खामियों को दूर करने में असफल रही है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निजी कंपनियों को आधार का इस्तेमाल करने की अनुमति देने से प्रोफाइलिंग हो सकती है जिसका इस्तेमाल नागरिकों की राजनीतिक राय को जानने में हो सकता है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि नागरिकों के डेटा का संग्रह किए जाने से नागरिकों की प्रोफाइलिंग हो सकती है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आंकड़ों की मजबूत सुरक्षा के लिए नियामक प्रणाली मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा कि नागरिकों के डेटा की रक्षा के लिए यूआईडीएआई की कोई सांस्थानिक जवाबदेही नहीं है.
उन्होंने कहा कि भारत में आधार के बिना जीना अब मुश्किल है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. यदि आधार को प्रत्येक डेटाबेस से जोड़ दिया जाए तो ऐसे में निजता के अधिकार के उल्लंघन की आशंका है.
जस्टिस चंद्रचूड़़ ने कहा कि संसद को कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन सुरक्षा की गैर मैजूदगी में यह विभिन्न अधिकारों के उल्लंघन का कारण बन सकता है.
(इनपुट भाषा से)
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