सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले को संवैधानिक बेंच के पास भेजने से इनकार कर दिया. शुक्रवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि वो अयोध्या मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद इस विषय को वह संवैधानिक बेंच के पास भेजने पर निर्णय लेगा.
Supreme Court's three-judge bench, headed by Chief Justice of India Dipak Misra said it will decide whether to send Ayodhya land dispute case to a five-judge bench but only after hearing from both sides
— ANI (@ANI) April 6, 2018
मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि अयोध्या भूमि विवाद मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपा जाए.
धवन ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अयोध्या भूमि विवाद मुसलमानों के बीच बहुविवाह से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है और राष्ट्र उस पर जवाब चाहता है.'
धवन ने कहा कि 1994 में लिए गए पूरे फैसले या उसके कुछ हिस्सों को संवैधानिक बेंच के पास भेजा जा सकता है क्योंकि वो फैसला आस्था के अधिकार को कम करता है. उन्होंने कहा कि अगर एक मस्जिद बनती है तो फिर उसे तोड़ा नहीं जा सकता, वो अल्लाह का हो जाता है. बाबरी मस्जिद को 1528 में बनाया गया था और ये मुस्लिमों के काफी आस्था का विषय है.
2010 में इलाहाबाद कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2:1 तके बहुमत पर ये आदेश दिया था कि अयोध्या भूमि को सुन्नी वक्फ़ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बांट दिया जाए.
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