सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने के लिए हामी भरी है.
कोर्ट ने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाए जाने संबंधी केंद्र सरकार की विभिन्न अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई को शुक्रवार को मंजूरी देते हुए 17 मई की तारीख तय की है.
चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने वरिष्ठ वकील श्याम दीवान की दलील को स्वीकार किया कि आधार कार्ड का मामला बहुत महत्वपूर्ण है और उस पर सुनवाई तत्काल होनी चाहिए.
गौरतलब है कि यही पीठ तीन तलाक की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही है.
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आधार कार्ड मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक शांता सिन्हा के वकील दीवान ने कहा, 'कोर्ट के आदेश के बावजूद कि आधार कार्ड स्वैच्छिक होगा, अनिवार्य नहीं, सरकार विभिन्न अधिसूचनाएं जारी कर छात्रवृत्ति, भोजन का अधिकार और स्कूलों में मिड डे मील जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इसे अनिवार्य बना रही है.'
शांता सिन्हा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की पूर्व प्रमुख हैं और आधार मामले में याचिका दायर करने वाले विभिन्न लोगों में शामिल हैं.
दीवान ने कहा कि कृपया दो न्यायाधीशों की पीठ को विभिन्न योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाए जाने के खिलाफ आवेदनों की सुनवाई करने दें.
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने दलील का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि आधार मामले में अंतरिम आदेश भी पांच न्यायाधीशों की पीठ ने दिया था, ऐसे में एक याचिका पर दो न्यायाधीशों वाली पीठ के समक्ष सुनवाई होना उचित नहीं होगा.
कुमार ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी नहीं बताया है कि विभिन्न योजनाओं में आधार को स्वैच्छिक बनाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद, केन्द्र सरकार ने नया कानून बनाया है.
आधार की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं और उन पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई करेगी. प्रधान न्यायाधीश ने अभी तक पीठ का गठन नहीं किया है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेश देकर सरकार और उसकी एजेंसियों से कहा था कि वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने में आधार को अनिवार्य ना करें. हालांकि कुछ योजनाओं में आधार की स्वैच्छिक इस्तेमाल की अनुमति दी थी.
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