सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट किया कि यदि सरकार जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों की फसल की व्यावसायिक खेती की अनुमति देने का फैसला करती है तो वह इसे चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा.
चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनञ्जय वाईचन्द्रचूड की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र की ओर से एडिशनल सालिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने कहा कि सरकार एक या डेढ़ महीने के भीतर इसके व्यावसायिक इस्तेमाल के बारे में फैसला लेगी.
इस पर पीठ ने कहा, 'हम इस मामले को सितंबर के दूसरे सप्ताह के लिए कर रहे हैं. यदि आपका फैसला जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों की खेती की अनुमति देने के पक्ष में होगा तो हम इस पर सुनवाई करेंगे.' इस पर नरसिम्हा ने कहा, 'बुआई का सत्र अक्तूबर में शुरू होता है.' पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में यदि सरकार ने इसकी अनुमति दी तो वह सरसों का बुआई सत्र शुरू होने से पहले ही जीएम सरसों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगी.
अरुणा रोड्रिग्स की याचिका पर हो सकती है सुनवाई
इससे पहले, न्यायालय ने केन्द्र से कहा था कि इस मामले में कोई भी नीतिगत फैसला लेने से पहले इस पर सोच-समझ कर विचार करे.
सरकार ने कहा था कि उसे इस मामले में अभी निर्णय लेना है और इस समय वह इस मसले पर मिले सुझावों और आपत्तियों पर विचार कर रही है.
जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों की व्यावसायिक खेती के खिलाफ अरुणा रोड्रिग्स ने यह जनहित याचिका दायर कर रखी है. उनके वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया था कि सरकार विभिन्न खेतों में इसके बीजों की बुआई कर रही है लेकिन उसने इससे संबंधित जैवीय विवरण वेबसाइट पर नहीं डाला है.
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