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'दो बालिगों की शादी में दखल देने वाली खाप पंचायत कौन होती है?'

सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ऑनर किलिंग रोकने के लिए गाइडलाइंस के लिए डाली गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी

Updated On: Feb 05, 2018 01:07 PM IST

FP Staff

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'दो बालिगों की शादी में दखल देने वाली खाप पंचायत कौन होती है?'

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर खाप पंचायतों को लताड़ लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि दो बालिगों की शादी में दखल देने वाले वो होते कौन हैं? कोर्ट ने कहा कि खाप पंचायत खुद को समाज का रखवाला न घोषित करें.

सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ऑनर किलिंग रोकने के लिए गाइडलाइंस के लिए डाली गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी. बेंच में जस्टिस मिश्रा के अलावा एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे.

सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी

बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई खाप, समाज या माता-पिता बालिगों को किसी के साथ प्रेम विवाह करने से रोक नहीं सकते. जब देश में किसी भी अवैध विवाह को रोकने के लिए कानून हैं, इन्हें कानून को अपने हाथ में लेकर समाज का रखवाला बनने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ऐसे जोड़ों की सुरक्षा करने को भी कहा, जिन्हें ऑनर किलिंग या खाप पंचायतों का खतरा हो.

कोर्ट ने केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं से ऐसे उपाय मांगे, जिससे इन विवाहित दंपतियों को सुरक्षा प्रदान की जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि उन्हें सुरक्षा देना पुलिस की जिम्मेदारी है.

कोर्ट ने बताया कि वो अंतरजातीय या अंतरधार्मिक विवाह करके खाप पंचायतों, घर-परिवार या रिश्तेदारों का विरोध झेल रहे जोड़ों की सुरक्षा के लिए एक हाई-लेवल पुलिस कमेटी के गठन पर विचार कर रही है.

इस दौरान जजों ने खाप की पैरवी कर रहे वकील से बेहद सख्त लहजे में कहा, 'कोई शादी वैध है या अवैध, यह फैसला बस अदालत ही कर सकती है. आप इससे दूर रहें.’

'बैन हों खाप'

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी कह चुकी है कि दो बालिगों की शादी में किसी को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. अब फिर कोर्ट ने ये बात दोहराई है.  सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही खाप पंचायतों पर कार्रवाई की बात की थी. कोर्ट का कहना था प्रेम विवाह करने वालों के खिलाफ खाप के फरमान पूरी तरह से गैरकानूनी हैं और केंद्र सरकार खाप पंचायतों को बैन करे.

सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायतों और प्रेम विवाह करने वालों पर होने वाले हमले रोकने में नाकामी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को भी फटकार लगाई. कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में उठाए गए कदमों पर जवाब तलब किया.

इस दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि अगर खाप पंचायतों को बैन करने के लिए केंद्र कदम नहीं उठाता, तो फिर कोर्ट कार्रवाई करेगा.

इस मामले में अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी.

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