सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पर्यावरणविद् जी डी अग्रवाल का शव हरिद्वार स्थित उनके आश्रम को सौंपने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि स्वामी जी डी अग्रवाल का शव उनके आश्रम को नहीं सौंपा जाएगा. बता दें कि उनके निधन के बाद उनका आश्रम मातृ सदन लगातार मांग उठा रहा है कि उनका शव उसे अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया जाए.
इससे पहले दिन में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश स्थित एम्स को निर्देश दिया था कि वह स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का शव उनके आश्रम मातृ सदन को सौंप दे, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी.
दरअसल, ये पूरा विवाद इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि ऋषिकेश के जिस एम्स अस्पताल में स्वामी सानंद का निधन हुआ, उसका कहना है कि उन्होंने अपने अंग मेडिकल रिसर्च के लिए दान दे दिए थे. लेकिन आश्रम उनका अंतिम संस्कार करना चाहता है.
स्वामी सानंद का निधन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में 11 अक्टूबर को हुआ था. वह गंगा की अविरल धारा और उसकी स्वच्छता को लेकर 111 दिन से अनशन पर थे.
अग्रवाल के आध्यात्मिक गुरू स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उनके शव पर दावा किया है जबकि सरकारी अस्पताल का कहना है कि उन्होंने अपने अंग मेडिकल रिसर्च के लिए संस्थान को दान में दिए हैं.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एम बी लोकुर की बेंच ने कहा कि अगर उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को लागू किया गया तो ऐसे में उनके अंग प्रतिरोपण के लायक नहीं रह जाएंगे.
बेंच ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट के 26 अक्टूबर, 2018 के फैसले पर अगले आदेश तक स्थगन लगाना उचित है.
कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर अनुरोध किया गया था कि स्वामी सानंद का शव अंतिम संस्कार के लिए उनके अनुयायियों को सौंप दिया जाए.
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