सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोप पत्र दाखिल करने की अवधि 90 दिन और बढ़ाने से इनकार करने के बंबई हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील पर गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली. कोर्ट इस पर फैसला बाद में सुनाएगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा.
शीर्ष अदालत भीमा-कोरेगांव हिंसा से संबंधित मामले में आरोप पत्र दाखिल करने की अवधि 90 दिन और बढ़ाने से बंबई हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी. शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी थी.
राज्य पुलिस इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. पिछले साल नवंबर में दाखिल किए गए चार्जशीट में कि पुलिस ने कहा था कि एलगार परिषद की तरफ से दिए गए भाषण ने भीमा-कोरेगांव हिंसा को भड़काने का काम किया. इसके लिए लगभग 80 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे.
पुणे पुलिस ने वकील सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल के रोना विल्सन को पिछले साल जून में माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत गिरफ्तार किया था.
(इनपुट भाषा से)
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