बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर रेप पीड़िताओं के फोटो शेयर करने पर रोक लगा दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िताओं के इंटरव्यू लेने पर भी रोक लगाई है. कोर्ट का कहना है कि यह आदेश सिर्फ मुजफ्फरपुर शेल्टर होम और देवरिया बालिका गृह मामले तक ही सीमित नहीं है. बल्कि यह सभी मामलों पर लागू होता है.
महिला ने पोस्ट कर दिया था पीड़िता का नाम
दरअसल मुजफ्फरपुर गर्ल्स शेल्टर होम कांड के आरोपियों में से एक की पत्नी ने कथित तौर पर कुछ पीड़ित लड़कियों के नामों को अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट कर दिया था. इसके बाद मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को आदेश दिया कि उस महिला को तुरंत गिरफ्तार किया जाए.
पहले भी कोर्ट ने कहा कि पीड़िता कि निजता का ध्यान रखें
पिछले दिनों जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान भी ऐसी ही बात कही थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां बलात्कार पीड़ित जीवित हैं, वह नाबालिग या विक्षिप्त हो तो भी उसकी पहचान का खुलासा नहीं करना चाहिए. क्योंकि उसका भी निजता का अधिकार है. कोर्ट इंदिरा जयसिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.
कठुआ रेप मामले में कोर्ट ने लगाया था मीडिया घरानों पर जुर्माना
दिल्ली हाईकोर्ट ने अप्रैल महीने में 12 मीडिया घरानों को कठुआ बलात्कार पीड़ित की पहचान सार्वजनिक करने की वजह से दस-दस लाख रूपए बतौर मुआवजा अदा करने का निर्देश दिया था. इन मीडिया घरानों ने पीड़ित की पहचान सार्वजनिक करने पर हाईकोर्ट से माफी भी मांगी थी.
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