बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक पीआईएल के संदर्भ में केंन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट एक पीआईएल पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा देशभर में संचालित केंद्रीय विद्यालयों की प्रार्थना सभा में की जाने वाली प्रार्थना पर सवाल उठाया गया है.
याचिकाकर्ता ने पीआईएल में कहा है कि केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार करती है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा संचालित किसी भी संस्थान में ऐसा नहीं होना चाहिए.
Supreme Court issued notice to the Central government after hearing a PIL which alleged that school prayers in Kendriya Vidyalayas propagate Hinduism and they should not be allowed as they are run by Government.
— ANI (@ANI) January 10, 2018
बता दें कि केंद्र सरकार द्वार संचालित देशभर में लगभग एक हजार से ज्यादा केंद्रीय विद्यालय हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन संचालित किया जाने वाला केंद्रीय विद्यालय संगठन विश्वभर में स्कूलों की चलाई जाने वाली सबसे बड़ी चेन में से एक है.
इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और केंद्रीय विद्यालय स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है. बेंच ने कहा, 'केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को हाथ जोड़कर और आंख बंद कर प्रार्थना क्यों कराई जाती है?' बेंच ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है.
दरअसल पीआईएल में संविधान के आर्टिकल 92 के तहत 'रिवाइज्ड एजुकेशन कोड ऑफ केंद्रीय विद्यालय संगठन' की वैधता को चुनौती दी गई है. आर्टिकल 92 के मुताबिक, "स्कूल में पढ़ाई की शुरुआत सुबह की प्रार्थना से होगी. सभी बच्चे, टीचर्स और प्रिंसिपल इस प्रार्थना में हिस्सा लेंगे." इस आर्टिकल में केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली सुबह की प्रार्थना की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है.
पिटिशनर के मुताबिक, सरकारी स्कूलों में धार्मिक विश्वासों और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय साइंटिफिक टेंपरामेंट यानी वैज्ञानिक मिजाज को प्रोत्साहित करना चाहिए. साथ ही संविधान के आर्टिकल 28 (1) और आर्टिकल 19 (मौलिक अधिकारों) को संरक्षण देना चाहिए.
पीआईएल में कहा गया है, 'आर्टिकल 19 नागरिकों को मौलिक अधिकार के तहत अभिव्यक्ति का अधिकार भी देता है. ऐसे में छात्रों को किसी एक धार्मिक आचरण के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए.'
पीआईएल में शिकायत की गई है कि केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को प्रार्थना करना अनिवार्य है. जिसे किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता.
( न्यूज18 के इनपुट के साथ )
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