दंडात्मक कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ और उसके अध्यक्ष पर कई वर्षों में बिना किसी सफलता के 64 जनहित याचिकाएं दायर करने को लेकर 25 लाख रुपए का उदाहरणीय जुर्माना लगाया और देश के किसी भी अदालत में याचिका दायर करने पर प्रतिबंध लगा दिया.
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, न्यायालय का समय बर्बाद करना गंभीर मसला है और ऐसे प्रयासों से कड़ाई से निपटना चाहिए ताकि ऐसे लोगों द्वारा अदालतों का दुरूपयोग रोका जा सके जिनके पास अपमानजनक और कल्पनिक आक्षेप लगाने के अलावा करने को कुछ नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने कहा कि एनजीओ सुराज इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव दहिया को जनहित में याचिका दायर करने से रोका जाता है.
कोर्ट ने कहा, इस चलन (अदालत का समय बर्बाद करने) को हमेशा के लिए रोकने हेतु, यह निर्देश दिया जाता है कि सुराज इंडिया ट्रस्ट अब इस देश की किसी भी अदालत में जनहित में कोई याचिका दायर नहीं करेगा. राजीव दहिया के जनहित में याचिका दायर करने पर रोक लगाई जाती है. सुराज इंडिया ट्रस्ट और राजीव दहिया द्वारा अदालत का समय बर्बाद करने के एवज में, हमें 25 लाख रुपए का उदाहरणीय जुर्माना लगाना उचित लगता है ताकि ऐसे लोग इस प्रकार की याचिका दायर करने से बचें.
कोर्ट ने एनजीओ से एक महीने के भीतर यह राशि जमा करवाने को कहा है. पीठ ने कहा कि इस न्यायालय में या फिर किसी भी उच्च न्यायालय में, जहां भी सुरक्षा इंडिया ट्रस्ट ने याचिकाएं दायर की हैं और वह लंबित हैं. उनमें इस फैसले को रेकार्ड में पेश करना एनजीओ की जिम्मेदार होगी.
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