सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय न्यायिक व्यवस्था में ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने अदालतों की कार्यवाही को लाइवस्ट्रीम करने की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से ही होगी.
अपने इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से ही होगी. इसके लिए कुछ नियमों का अनुसरण करने की जरूरत होगी. कोर्ट की कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग से भारत की न्यायिक व्यवस्था में भरोसा बढ़ेगा.'
Supreme Court allows live streaming of court proceedings, says, 'it will start from the Supreme Court. Rules have to be followed for this. Live streaming of court proceedings will bring accountability into the judicial system." pic.twitter.com/UAWZVV9DcA
— ANI (@ANI) September 26, 2018
कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग से जनता का हित जुड़ा हुआ है. कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे कोर्ट की प्रक्रियाओं में भी पारदर्शिता आएगी.
बता दें कि इस केस की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एम एम खानविल्कर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने 24 अगस्त को इस मुद्दे पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था. बेंच का कहना था कि वह अदालतों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए ‘खुली अदालत यानी ओपन कोर्ट’ की परिकल्पना को लागू करना चाहती है.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि इस परिकल्पना को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाना चाहिए और उसकी सफलता-असफलता के सामने आने के बाद ही ये तय किया जाना चाहिए कि इसे लागू किया जाए या नहीं.
बेंच ने कहा था कि 'हमें लाइव स्ट्रीमिंग में कोई दिक्कत नहीं है. चलिए इसे शुरू करते हैं और देखते हैं कि कैसा जाता है. हम अभी पायलट प्रोजेक्ट ही शुरू कर रहे हैं और अभी कोई फैसला नहीं दे रहे हैं. वक्त के साथ देखेंगे. हम सब कुछ एक साथ नहीं कर सकते.' कोर्ट ने इस मांग को वक्त की जरूरत बताया था.
केंद भी इसके पहले कह चुका है कि संवैधानिक मामलों की कोर्ट की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग ट्रायल बेस पर करवाई जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सीनियर लॉयर इंदिरा जयसिंह, लॉ स्टूडेंट स्नेहिल त्रिपाठी और सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज एनजीओ की ओर से दाखिल की गई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था.
अटॉर्नी जनरल ने इसे लागू करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए थे. उन्होंने कहा था कि लाइव स्ट्रीमिंग को 70 सेकेंड की देरी से शुरू किया जाना चाहिए ताकि अगर वकील गलत व्यवहार करता है या मामला संवेदनशील है तो बेंच स्ट्रीमिंग का साउंड म्यूट कर सके.
सुनवाई के दौरान इस एनजीओ का पक्ष रख रहे वकील विराग गुप्ता ने सुझाव दिया कि कोर्ट की कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करने या कोई चैनल लाने की बजाय वीडियो रिकॉर्डिंग कर कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाए.
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