सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से राफेल डील का विवरण मांगा है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल विमानों की कीमत की जानकारी उसे बंद लिफाफे में सौंपे. कोर्ट ने सरकार को इसके लिए 10 दिनों का वक्त दिया है. लेकिन अगर सरकारी सूत्रों की मानें तो केंद्र ये जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर देगा.
केंद्र की तरफ से दलील दी गई थी कि राफेल डील से जुड़ी सूचनाएं इतनी संवेदनशील हैं कि उन्हें संसद में भी साझा नहीं किया जा सकता. इसपर भी सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बात रखी थी. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र गोपनीय और सामरिक महत्व की जानकारी गुप्त रखकर बस इस डील के फैसले की प्रक्रिया याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट की मानें तो केंद्र ये जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर सकता है. एक सरकारी सूत्र के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हलफनामा जारी कर कहेगी कि इस लड़ाकू विमान की गोपनीयता बनाए रखने के चलते वो इस डील की कोई भी जानकारी याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने की स्थिति में नहीं है.
इस सूत्र ने बताया कि केंद्र अगर इस डील के फैसले की प्रक्रिया की जानकारी कोर्ट को देता तो ये डिटेल बस जजों की बेंच ही देखती. यानी वही कागजात पार्टियों और याचिकाकर्ताओं को नहीं दिखाए जाते. इन नोट्स को सुप्रीम कोर्ट के देखने के बाद इससे संवेदनशील जानकारियां हटाकर ही दूसरों को दिखाया जाता.
सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि याचिकाकर्ता इस पर सात दिन के भीतर जवाब दे सकते हैं. कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 नवंबर तय की है.
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि लड़ाकू विमान की कीमत 'विशिष्ट' सूचना है और उसे साझा नहीं किया जा सकता है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि उसे राफेल सौदे से जुड़ी तकनीकी जानकारी नहीं चाहिए. उसने केंद्र से अगले 10 दिन में भारत के ऑफसेट साझेदार की जानकारी सहित अन्य सूचनाएं मांगी हैं.
बता दें कि बेंच ने ये भी कहा कि अगर कीमत से जुड़ी जानकारी भी इतनी 'विशिष्ट' है तो केंद्र एक हलफनामा जारी कर ये बात खुद कोर्ट से कहे.
बता दें कि भारतीय वायुसेना की क्षमता को बढ़ाने की प्रक्रिया के तहत भारत ने उपयोग के लिए पूरी तरह तैयार स्थिति में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ सौदा किया है. राफेल दो इंजनों वाला मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है. इसका निर्माण फ्रांस की कंपनी दसाल्ट ने किया है.
सबसे पहले वकीलों एम. एल. शर्मा और विनीत ढांडा ने राफेल सौदे के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर कीं. बाद में सिन्हा, शौरी और भूषण की ओर से एक और आप नेता संजय सिन्हा की ओर से एक-एक याचिका दायर की गई.
दोनों पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और भूषण ने अपनी याचिका में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी.
(एजेंसी से इनपुट के साथ)
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