सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में एलजीबीटी समुदाय को बड़ी राहत देते हुए होमो सेक्सुआलिटी को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के कुछ ही देर बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी नाराजगी जताई.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्वामी ने कहा कि यह अंतिम फैसला नहीं है और इसे बदला भी जा सकता है. स्वामी के मुताबिक, इस फैसले को सात जजों की बेंच बदल भी सकती है.
सीएनएन न्यूज-18 से बात करते हुए स्वामी ने कहा कि सहमति से बनाए गए होमो सेक्सुअल संबंधों से सामाजिक बुराइयां बढ़ेंगी. उन्होंने कहा कि इससे सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज (एसटीडी) में भी इजाफा होगा. इस फैसले पर गुस्साए स्वामी ने एक बार फिर कहा कि होमो सेक्सुआलिटी एक जेनेटिक डिसऑर्डर की समस्या है.
स्वामी ने कहा कि इस फैसले के बाद देश में एचआईवी के केस में बढ़ोत्तरी नजर आएगी. उन्होंने कहा कि हम इसे वैकल्पिक सेक्सुअल बर्ताव के तौर पर नहीं देख सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को मान्यता दे दी है. मतलब दो वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि एलजीबीटी समुदाय को अन्य नागरिकों की तरह समान मानवीय और मौलिक अधिकार हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि पहचान बरकरार रखना लाइफ के पिरामिड के लिए जरूरी है. खुद को अभिव्यक्त नहीं कर पाना मरने के समान है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही देश में 158 साल पुराना ब्रिटिश कानून अब खत्म हो गया.
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