कर्मचारी चयन आयोग(एसएससी) पेपर लीक मामले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की शुरुआत कर दी है. सीबीआई ने बुधवार को इस मामले से संबंधित 17 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है. सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट के साथ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
बुधवार को सीबीआई ने एसएससी पेपर लीक मामले में देशभर के 12 जगहों पर छापेमारी की. सीबीआई को एसएससी द्वारा शिकायत मिलने पर यह बड़ी कार्रवाई की गई है. अगस्त 2017 में ग्रेजुएट लेवल की कंबाइंड परीक्षा में धांधली की शिकायत को लेकर छात्र लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे थे.
सीबीआई की तफ्तीश में पता चला है कि कंप्यूटर लैब के सेंस्टाइज करने की जिम्मेदारी जिस कंपनी को सौंपी गई थी, उसी कंपनी के कुछ लोगों ने एसएससी परीक्षा के प्रश्न पत्रों को लीक किया था.
आपको बता दें कि एसएससी की यह परीक्षा ऑनलाइन परीक्षा थी. सीबीआई को अपनी तफ्तीश में यह भी पता चला है कि परीक्षा के लिए जिस सॉफ्टवेयर को तैयार किया गया था, हैकर परीक्षार्थी के सामने ही प्रश्न पत्रों को बदल देते थे. सीबीआई के द्वारा गिरफ्तार सभी आरोपियों को इस सॉफ्टवेयर के बारे में पूरी जानकारी रहती थी.
सीबीआई ने इन सभी आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी कर काफी सारे दस्तावेज और कंप्यूटर बरामद किए है. अंबाला, शिमला, जयपुर, पटना सहित चेन्नई, मुंबई, दिल्ली और नोएडा जैसे शहरों से भी कई कंप्यूटर को सीबीआई ने जब्त किया है.
बता दें कि तीन महीने पहले ही एसएससी द्वारा संयुक्त स्नातक स्तर के (टीयर-2) की परीक्षा में सीबीआई जांच की मांग को लेकर छात्र सड़कों पर उतरे थे. इसी साल 17 फरवरी से एसएससी के दिल्ली स्थित सीजीओ कॉम्पलेक्स के दफ्तर के सामने कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन हुए थे. इसके बाद ही एसएससी ने फैसला किया था कि जबतक जांच पूरी नहीं हो जाती तबतक इस परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किए जाएंगे.
बता दें कि आठ हजार पदों के लिए देशभर के लगभग 31 लाख छात्रों ने इस परीक्षा में भाग लिया था. टीयर-1 परीक्षा में लगभग एक लाख 90 हजार छात्रों को टीयर-2 परीक्षा के लिए चुना गया था. टीयर-1 परीक्षा के लिए देशभर के 200 से अधिक जगहों पर परीक्षा ली गई थी. बता दें कि तीन महीने एसएससी परीक्षाओं में धांधली को लेकर छात्रों का विशाल प्रदर्शन हुआ था. एसएससी ने बाद में सरकार को सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
तीन महीने पहले हुए इस प्रदर्शन में छात्रों का साथ उनके परिजनों ने भी भाग लिया था. प्रदर्शनकारी छात्र एसएससी बोर्ड द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं की सीबीआई जांच की मांग पर अड़े थे.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने एसएससी की 13वीं मनाते हुए शोक सभा का भी आयोजन किया था. प्रदर्शनकारी छात्रों ने पूरे विधि-विधान के साथ एसएससी की तेरहवीं मनाई थी. सरकारी नौकरियों में हो रही धांधली और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना था कि जिस उद्देश्य से एसएससी का गठन हुआ था उसमें ये संस्थान विफल रहा है. एक संस्थान के तौर पर एसएससी अब खत्म हो चुका है, इसकी मौत हो गई है जिसका देश के युवाओं को अत्यंत दुख है.
उस समय आंदोलन को कमजोर और छात्रों को भ्रमित करने के लिए तिकड़मबाजी और अफवाह भी फैलाई गई थी. लेकिन, छात्र अपनी दो मुख्य मांगों को लेकर लगातार सीजीओ कॉम्प्लेक्स में डटे हुए थे.
छात्रों की दो प्रमुख मांगें थी. पहला, एसएससी द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं की समयबद्ध तरीके से निष्पक्ष सीबीआई जांच करवाई जाए और दूसरी जब तक कि जांच न हो, वर्तमान में चल रही एसएससी की सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाए.
प्रदर्शनकारी छात्रों को राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला था. स्वराज इंडिया पार्टी ने सवाल उठाया था कि दुनिया के सबसे युवा देश के प्रधानमंत्री ने देश के भविष्य से संबंधित इस आंदोलन पर अब तक एक शब्द भी क्यूं नहीं बोला और काफी दिन बीत जाने के बाद भी सरकार का कोई प्रतिनिधि छात्रों से मिलने सीजीओ कॉम्प्लेक्स क्यूं नहीं पहुंचा.
कुलमिलाकर प्रदर्शनकारी छात्रों के प्रदर्शन के दौरान कई सबूत सामने रखे गए थे. 21 फरवरी को जिस लीक हुए पेपर के स्क्रीनशॉट वायरल हुए थे, उसमें स्क्रीन शेयर सॉफ्टवेयर के आइकन दिख रहे थे. इससे साफ जाहिर हो रहा था कि ऑन लाइन एग्जाम में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है, जिसकी सीबीआई की एफआईआर ने पुष्टि कर दी है.
दिल्ली में मार्च महीने में हुए इस प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा, दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, सांसद पप्पू यादव, स्वराज इंडिया पार्टी के योगेंद्र यादव, अन्ना हजारे, मीनाक्षी लेखी, आप की अल्का लांबा और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण जैसे कई बड़े नाम शामिल हो हुए थे.
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