सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में एक अहम गवाह ने बुधवार को विशेष अदालत में बताया कि सोहराबुद्दीन शेख के एक सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को एक फेक एनकाउंटर में मार दिया गया था. गुजरात और राजस्थान की पुलिस ने जब इस एनकाउंटर को किया था तब प्रजापति एक मर्डर केस में न्यायिक हिरासत में था.
यह गवाह 2004 में हामिद लाला मर्डर केस में तुलसी प्रजापति का वकील भी रह चुका है. गवाह ने कोर्ट को इस बात की जानकारी दी कि उसने फरवरी, 2006 में उदयपुर कोर्ट मजिस्ट्रेट को हलफनामा दिया था. हलफनामे में तुलसी प्रजापति की जान का खतरा और फेक एनकाउंटर हो जाने की संभावना के बारे में बताया गया था.
नवंबर, 2005 में सोहराबुद्दीन की कथित फेक एनकाउंटर में मौत के बाद गवाह तुलसी प्रजापति का भी दिसंबर, 2006 में एनकाउंटर हो गया था. दोनों केस सीबीआई के पास हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इस मामले की शुरूआत में कुल 73 गवाह थे. 50 गवाहों को अभियोजन पक्ष ने अवैध करार दे दिया, लेकिन यह गवाह शुरू से ही अपने बयान पर कायम रहा. कोर्ट को जानकारी देते हुए गवाह ने अपनी जान को खतरा भी बताई. कोर्ट ने उसे पूरी सुरक्षा मुहैया कराए जाने के आदेश भी दिए हैं.
गवहा ने कोर्ट में दावा किया कि तुलसी प्रजापति ने उसे बताया था कि पुलिस उसे हामिल लाला मर्डर केस में 26 नवंबर, 2015 को गिरफ्तार कर जेल ले गई थी, लेकिन उसकी गिरफ्तारी को जेल के रिकॉर्ड में तीन दिन बाद का दिखाया गया.
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