अपराधी पकड़े जाएं या मुठभेड़ों में मारे जाएं, इसमें कोई खास बात नहीं है. अचरज तब होता है, जब अचानक शहर में पुलिस मुठभेड़ों की बाढ़ सी आ जाए. एक के बाद एक मुठभेड़. हर मुठभेड़ में कोई न कोई बदमाश ढेर और कुछ गिरफ्तार. सब के सब एनकाउंटर दिन-दहाड़े. हर मुठभेड़ में पुलिस वाले घायल. ये सब जब देश की राजधानी दिल्ली में होने लगे तो चर्चाओं का बाजार गरम होना लाजिमी है. दिल्ली में इन दिनों हो रहे एनकाउंटर जहां मीडिया की सुर्खियां बने हुए हैं, वहीं अचानक एक्टिव हुई दिल्ली पुलिस की इस चुस्ती-फुर्ती को लेकर भी राजधानी में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गरम है.
कनाट प्लेस शूटआउट का असर कम होने लगा!
वरिष्ठ आईपीएस निखिल कुमार की कुर्सी छीन लेने वाली कनॉट-प्लेस पुलिस मुठभेड़ दिल्ली की जनता और दिल्ली पुलिस को आज भी याद है. जिसमें जाने-अनजाने (गफलत या गलतफहमी के चलते) कुछ व्यापारी पुलिस ने ढेर कर दिए. इस मामले में पुलिस कमिश्नर की कुर्सी तो गई ही. सहायक पुलिस आयुक्त सतवीर सिंह राठी सहित कई पुलिस वाले दो दशक से भी ज्यादा समय से कोर्ट कचहरी, थाने-चौकी, सीबीआई दफ्तर और तिहाड़ जेल के धक्के आज भी खाते घूम रहे हैं. वो एक अदद ऐसा खूनी एनकाउंटर था, जिसमें दिल्ली पुलिस बुरी तरह फंस गई. उस कनाट प्लेस शूटआउट ने खाकी के जेहन में खौफ पैदा कर दिया. अधिकांश पुलिस वालों ने दिल्ली में एनकाउंटर करने से तौबा कर ली. कई साल तक दिल्ली में अपराधी अपराध करते रहे, लेकिन कनाट प्लेस शूटआउट की आग में झुलसी दिल्ली पुलिस हाथ-पांव बचाकर नौकरी करती रही.
दिल्ली शरणस्थली, कर्मस्थली या कब्रिस्तान!
कनाट प्लेस शूटआउट के बाद अब दिल्ली पुलिस एक बार फिर से सड़कों पर लौटी हुई सी नजर आ रही है. इसकी वजह क्या है? पुलिस का चौकस होना या फिर दिल्ली में बाहर के अपराधियों की घुसपैठ? 9 जून 2018 को दिल्ली के छतरपुर इलाके में एक प्रॉपर्टी डीलर के फार्म के करीब हुई खूनी मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (उत्तरी रेंज डीसीपी प्रमोद कुमार सिंह कुशवाह और संजीव यादव की संयुक्त टीम) ने हरियाणा के कई बदमाशों को घेर लिया. दिन-दहाड़े हुई मुठभेड़ में राजेश भारती और उसके तीन गुर्गे ठौर मारे गए. गोली लगने से आठ पुलिसकर्मी और एक बदमाश ढेर हो गया.
लंबे समय बाद दिन-दहाड़े सड़क पर हुई इतनी बड़ी खूनी मुठभेड़ पुलिस के साथ साथ दिल्ली की जनता के लिए भी हैरतअंगेज कर देने वाली घटना थी. दो लाख के इनामी (एक लाख हरियाणा और लाख दिल्ली पुलिस) राजेश भारती के दिल्ली में ढेर होने से दो चीजें निकल कर सामने आ रही हैं. पहली बात दिल्ली पुलिस के जेहन से धीरे धीरे कनाट प्लेस फर्जी एनकाउंटर का भय दूर हो रहा है. दूसरी बात दिल्ली के आसपास के राज्यों के बदमाश अपने इलाके में वारदात को अंजाम न देकर दिल्ली में सक्रिय हैं.
यह भी है अजब-गजब समझदारी
पांच जून 2018 को पूर्वी दिल्ली (शाहदरा) के विवेक विहार इलाके में हुई पुलिस मुठभेड़ हो या फिर छतरपुर इलाके में हुई मुठभेड़. दोनों मुठभेड़ में पांच बदमाश ढेर कर दिए गए. राजेश भारती जींद हरियाणा और नूर मोहम्मद (राजस्थान) से संबद्ध बताए जा रहे हैं. नूर मोहम्मद पुलिस की गोली से ठौर मारा गया. रवि को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इन दोनो ही खूनी मुठभेड़ों से एक बात यह साफ होती है कि दिल्ली अपराधियों को पनपने नहीं दे रही है.
बदमाशों की जन्म-स्थली राजस्थान/हरियाणा/यूपी है. यह बदमाश पड़ोसी राज्यों में पल-पोसकर वारदातों को अंजाम देने दिल्ली में आते हैं. मतलब अपने घर (राज्य) में वारदात नहीं करते हैं. बल्कि वारदात दिल्ली में करके यह खूंखार अपने-अपने गृह राज्यों में सकुशल वापस चले जाते हैं. ऐसे में दिल्ली पुलिस अब अपनी अन्य राज्यों से सटी सीमाओं पर चौकसी और बढ़ाने की सोच रही है.
छोटी हो रही है दिल्ली पुलिस की ‘टॉप-टेन’ लिस्ट
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने जनवरी 2018 में रवि भारद्वाज को ढेर कर दिया था. इसके बाद अब राजेश भारती और उसके गुर्गों को निपटा दिया. ऐसे में यह भी सही है कि दिल्ली पुलिस की ‘टॉप टेन’ लिस्ट लगातार छोटी हो रही है. लेकिन जो अपराधी मारा जा रहा है, उसके निपटने के साथ ही उसके गैंग के बाकी जिंदा बचे सदस्य सक्रिय होते जा रहे हैं.
लोधी कालोनी स्थित दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के एक आला पुलिस अफसर के मुताबिक लिस्ट भले ही छोटी हो रही हो, मगर उससे पुलिस के काम पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ रहा है. हम (स्पेशल सेल) अभी भी जितेंद्र गोगी की तलाश में दिन रात एक किए हुए हैं.
जितेंद्र गोगी की ताजपुर गांव के सुनील उर्फ ढिल्लू गैंग से खूनी रंजिश है. दिल्ली पुलिस चाहती है कि किसी तरह दोनो गैंग में से कोई एक गैंग, किसी दूसरे की मुखबिरी कर दे, तो कम से कम एक गैंग सरगना तो उसकी (दिल्ली पुलिस) मोस्ट वांटेड टॉप-टेन लिस्ट से कम हो सकेगा. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक मुश्किल यह है कि कहीं ढिल्लू नेपाल न निकल गया हो, तो मुश्किल ज्यादा हो जाएगी. ढिल्लू के बाद पुलिस को अमित ताजपुरिया की भी तलाश जोरजोश से है. पुलिस इस जुगत में भी है कि अगर उसके हाथ गोगी न लगे तो उसका राइट हैंड कुलदीप मान उर्फ फज्जा ही मिल जाए. फज्जा दिल्ली विवि का साइंस स्नातक बताया जाता है.
राजेश भारती एनकाउंटर के जानलेवा झोल
दिल्ली पुलिस अपराधियों का सफाया कर रही है इसमें किसी को भला क्या आपत्ति होगी? सवाल यह है कि एक के बाद एक सफल मुठभेड़ में कहीं अति-उत्साह में पुलिस धोखा न खा बैठे. राजेश भारती मुठभेड़ में उसके आठ जवानों का घायल होना इस चिंता का प्रमुख कारण है. मुठभेड़ में चार बदमाशों को ढेर करने वाले अधिकांश पुलिसकर्मी खूनी एनकाउंटर के दौरान बिना बुलेटप्रूफ जैकेट के ही मुकाबले में उतर गए थे...आखिर क्यों? यह अति उत्साह में हुई भारी भूल थी. इसको भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है.
आखिर एक साथ दिन-दहाड़े इतने एनकाउंटर कैसे?
राज्य कोई भी हो. मुठभेड़ के नाम पर हर राज्य की पुलिस को सांप सूंघ जाता है. ऐसे में एक अदद देश की राजधानी दिल्ली में तीन दिन के अंदर 5-6 बदमाशों को ढेर कर दिया जाना हैरत की बात है. इसके पीछे सूत्र बताते हैं कि दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के ऊपर काम करके कुछ कर दिखाने का दवाब इस कदर था कि अगर अब काम नहीं करते तो शायद दोनो ही प्रकोष्ठों में बड़ी फेरबदल (अफसर और स्टाफ) तय थी.
ऐसे में वही कहावत कि मरता क्या न करता? अपनी खाल बचाने को दोनो ही ब्रांच के अफसर एक साथ कई दिन से सड़कों पर उतर आए थे और रिजल्ट सामने है. दिल्ली पुलिस मुख्यालय सूत्रों के मुताबिक एनकाउंटर अचानक यूं ही नहीं शुरू हुए हैं. अपराधी चाहे कहीं का भी हो, उसका सफाया जरूरी है...यह इशारा भी ‘ऊपर’ (दिल्ली पुलिस मुख्यालय) से ही मिला तभी एक साथ इन खूनी मुठभेड़ों की शुरुआत हुई है.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.