केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर दिए गए बयान की आलोचना होने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला के संबंध में मेरे बयान पर चर्चा हो रही है. ऐसे में मैं अपने बयान पर बयान देना चाहती हूं. एक हिंदू के नाते और एक पारसी से शादी करने के चलते मुझे अग्नि मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है.
Since many people are talking about my comments — let me comment on my comment. As a practising Hindu married to a practising Zoroastrian I am not allowed to enter a fire temple to pray: Union Minister Smriti Irani clarifies on her comment. (1/5) (File pic) pic.twitter.com/h0p06XS39b
— ANI (@ANI) October 23, 2018
उन्होंने आगे कहा कि मैं पारसी समुदाय, उनके पुजारियों का सम्मान करती हूं. लेकिन दो पारसी बच्चों की मां होने के नाते वहां पूजा करने के अधिकार के लिए मैं कोर्ट नहीं गई. ऐसे ही मासिकधर्म वाली पारसी महिलाएं या फिर गैरपारसी महिलाएं किसी अग्नि मंदिर में प्रवेश नहीं करती. ये दो तथ्यात्मक बयान हैं. बाकी सब प्रोपेगेंडा और मेरे खिलाफ चलाया जा रहा एजेंडा है.
These are 2 factual statements. Rest of the propaganda / agenda being launched using me as bait is well just that ... bait: Smriti Irani clarifies on her comment. (3/5)
— ANI (@ANI) October 23, 2018
उन्होंने कहा, 'जहां तक किसी दोस्त के घर खून से सने सैनिटरी पैड को ले जाने वाले मेरे बयान को लेकर मुझ पर निशाना साधा जा रहा है. तो मैं ये बताना चाहती हूं कि मुझे अब तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है, जिसने ऐसा किया हो.'
इससे पहले केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि पूजा करने के अधिकार का यह मतलब नहीं है कि आपको अपवित्र करने का भी अधिकार प्राप्त है. उन्होंने कहा था, 'मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बोलने वाली कोई नहीं हूं, क्योंकि मैं एक कैबिनेट मंत्री हूं. लेकिन यह साधारण-सी बात है क्या आप माहवारी के खून से सना नैपकिन लेकर चलेंगे और किसी दोस्त के घर में जाएंगे. आप ऐसा नहीं करेंगे.'
#WATCH Union Minister Smriti Irani says," I have right to pray,but no right to desecrate. I am nobody to speak on SC verdict as I'm a serving cabinet minster. Would you take sanitary napkins seeped in menstrual blood into a friend's home? No.Why take them into house of God?" pic.twitter.com/Fj1um4HGFk
— ANI (@ANI) October 23, 2018
उन्होंने कहा था, 'क्या आपको लगता है कि भगवान के घर ऐसे जाना सम्मानजनक है? यही फर्क है. मुझे पूजा करने का अधिकार है लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है. यही फर्क है कि हमें इसे पहचानने तथा सम्मान करने की जरुरत है.' स्मृति ब्रिटिश हाई कमीशन और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित 'यंग थिंकर्स' कान्फ्रेंस में बोल रही थी.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को मंदिर में माहवारी आयु वर्ग (10 से 50 वर्ष) की महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था. सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शनों के चलते महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने से रोक दिया गया.
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