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फिर धुंध से घुटेगी दिल्ली, पराली के धुएं में डूबने वाली है राजधानी

सरकार की कोशिशों के बाद भी किसानों ने पराली का निपटारा करने के लिए उन्हें जलाने का फैसला किया है

Updated On: Oct 05, 2018 11:13 AM IST

FP Staff

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फिर धुंध से घुटेगी दिल्ली, पराली के धुएं में डूबने वाली है राजधानी

मॉनसून में अच्छी बारिश के बाद खुली और साफ हवा में सांस ले रही दिल्ली का दम फिर से घुटने वाला है. दो सालों से अक्टूबर-नवंबर के दौरान राजधानी को घेरने वाला धुंध फिर से लौटने वाला है. हरियाणा और पंजाब के किसान फिर से पराली जलाने की तैयारी कर रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, पराली जलाने पर जुर्माना लगने के बाद भी और इसको रोकने के लिए सरकार की कोशिशों के बाद भी किसानों ने पराली का निपटारा करने के लिए उन्हें जलाने का फैसला किया है. अप्रैल- मई और अक्टूबर-नवंबर साल में दो वक्त होते हैं, जब किसान पराली जलाते हैं.

उत्तर भारत के राज्यों में अगले कुछ दिनों में धुंध की समस्या फिर से शुरू होने वाली है. हालांकि, केंद्र पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए और इसके लिए बेहतर मशीनों को किसानों के बीच पहुंचाने के लिए लगभग 1 हजार करोड़ की रकम खर्च कर रहा है. पंजाब सरकार भी पराली के प्रबंधन के लिए मशीनरी पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है. लेकिन इस प्रक्रिया में इतनी औपचारिकता है कि किसान उन्हें पूरा करने के बजाय पराली जलाने को ज्यादा आसान समझते हैं.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, संगरूर, पटियाला, भठिंडा, अंबाला, सोनीपत और रोहतक के किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी लगी इन मशीनों का खर्चा छोटे और मध्यम किसानों के फायदे के बराबर ही पड़ जाता है. इसके अलावा इन मशीनों को लेने में इतनी औपचारिकता पूरी करनी पड़ती है कि उसमें काफी वक्त लगता है, जबकि फसल के बाद किसान खेत से पराली को तुरंत साफ करना चाहते हैं. इन मशीनों का इस्तेमाल भी इन किसानों के लिए एक मुद्दा है. इसलिए किसान एक मशीन की जगह माचिस की एक तीली पर भरोसा करते हैं.

केंद्र ने पराली जलाने पर जुर्माना भी लगा रखा है. पांच एकड़ से ज्यादा जमीन पर पराली जलाने पर 5,000 और इससे कम जमीन पर जलाने पर 2,500 रुपए तक का जुर्माना लग सकता है.

इसके अलावा यहां के किसान खुद धुएं से होने वाली सांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं लेकिन पराली जलाने का क्रमा जारी है. एक टन पराली जलाने से इतनी जहरीली गैसें निकलती हैं, जो ऐसी दमा, अस्थमा जैसी बीमारियां पैदा करने के लिए काफी हैं. अगर एक टन पराली जलाई जाए तो उससे 1700 किलोग्राम के आसपास पार्टिकुलेट मैटर, CO, Co2, SO2 और राख निकलती हैं. इससे मिट्टी अपनी उपजाऊ क्षमता भी खोती है.

कुछ महीनों से दिल्ली की आबोहवा साफ रही है लेकिन अब फिर दिल्ली धुंध और जहरीली हवा में घुटने वाली है. इसकी शुरुआत शुक्रवार से हो भी चुकी है. हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाई गई है और दिल्ली-एनसीआर में इसका असर हल्के धुंध के तौर पर देखा गया है.

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