कड़े प्रतियोगिता वाली प्रवेश परीक्षा में कामयाब होने के बाद देश के 8 प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में दाखिला पाने वाले करीब 66 हजार छात्र फैकल्टी के अभाव से जूझ रहे हैं. सूचना के अधिकार (आरटीआई) से यह खुलासा हुआ है कि देश के इन शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में औसत आधार पर शिक्षकों के लगभग 36 प्रतिशत स्वीकृत पद खाली पड़े हैं.
मध्य प्रदेश के नीमच के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उनकी अर्जी के जवाब में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने उन्हें 26 नवंबर को भेजे पत्र में सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी दी है.
आरटीआई के तहत मुहैया कराए गए आंकड़े बताते हैं कि मुंबई (बॉम्बे), दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, चेन्नई (मद्रास), रूड़की और वाराणसी स्थित आईआईटी में फिलहाल 65,824 छात्र पढ़ रहे हैं. जबकि इन आईआईटी में पढ़ा रहे शिक्षकों की संख्या 4,049 है. इन संस्थानों में फैकल्टी के कुल 6,318 पद स्वीकृत हैं. यानी 2,269 पद खाली रहने के कारण इन संस्थानों में करीब 36 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है. औसत आधार पर इन 8 संस्थानों में विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात 16:1 है. यानी वहां हर 16 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक नियुक्त है.
शिक्षकों की कमी के मामले में सबसे गंभीर स्थिति आईआईटी बीएचयू में है जहां अलग-अलग पाठ्यक्रमों में 5,485 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. इस प्रतिष्ठित संस्थान में 548 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 265 शिक्षक काम कर रहे हैं. यानी इस संस्थान में शिक्षकों के 283 पद खाली पड़े हैं और यह आंकड़ा स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब 52 प्रतिशत की कमी दर्शाता है. इस संस्थान में हर 21 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है.
फैकल्टी की कमी से आईआईटी में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही
वरिष्ठ शिक्षाविद् और करियर सलाहकार जयंतीलाल भंडारी ने इन आंकड़ों की रोशनी में कहा, 'देश में आईआईटी की तादाद अब बढ़कर 23 पर पहुंच चुकी है. ऐसे में यह बात बेहद चिंतित करने वाली है कि 8 प्रमुख आईआईटी शिक्षकों की कमी से अब तक जूझ रहे हैं. जब इन संस्थानों में यह हाल है, तो इस सिलसिले में नए आईआईटी की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है.' उन्होंने कहा कि आईआईटी में शिक्षकों की कमी को सरकार द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता से दूर किया जाना चाहिए, क्योंकि इस अभाव से शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.
आरटीआई के तहत मिले आंकड़ों के मुताबिक स्वीकृत पदों के मुकाबले शिक्षकों की कमी आईआईटी खड़गपुर में 46 प्रतिशत, आईआईटी रूड़की में 42 प्रतिशत, आईआईटी कानपुर में 37 प्रतिशत, आईआईटी दिल्ली में 29 प्रतिशत, आईआईटी मद्रास में 28 प्रतिशत, आईआईटी बॉम्बे में 27 प्रतिशत और आईआईटी गुवाहाटी में 25 प्रतिशत के स्तर पर है.
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