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लाठी टूट गई मगर सांप नहीं मरा, 'तीसरी आंख' ने बेगुनाह पत्नी के कातिल को पहुंचा दिया सलाखों के पीछे

प्रिया के अंतिम संस्कार के बाद दिल्ली पुलिस ने संदिग्ध पंकज को श्मशान में ही पूछताछ के नाम पर हिरासत में ले लिया

Updated On: Dec 29, 2018 09:38 AM IST

Sanjeev Kumar Singh Chauhan Sanjeev Kumar Singh Chauhan

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लाठी टूट गई मगर सांप नहीं मरा, 'तीसरी आंख' ने बेगुनाह पत्नी के कातिल को पहुंचा दिया सलाखों के पीछे

हमेशा अपराधी, पुलिस से ज्यादा चतुर-चालाक बनने की कोशिश करते हैं. तमाम मामलात में षडयंत्रकारी को कुछ दूर तलक सफलता मिलती भी है. मगर आखिर में, पुलिस और कानून के सामने, अपराधी को हार ही हासिल होती है. बशर्ते घटना की ‘पड़ताल’ ठोस तौर-तरीके से की गई हो.

कुछ इसी तरह की धुरी पर टिकी एक बेगुनाह औरत के कत्ल की सच्ची कहानी पेश है ‘पड़ताल’ की इस खास कड़ी में. कत्ल की उस रात का भयावह सच जिसमें रोशनी में जगमगाती राजधानी की चौड़ी सड़कों पर एक बिगड़ैल और कर्जखोर-सट्टेबाज पति ने उसी पत्नी का कर डाला कत्ल जिसके साथ उसमें कभी अग्नि के सात फेरे लेकर ताउम्र हिफाजत की कसमें खाईं थीं. समाज के सामने ‘मांग’ में हाथों से भरकर जिसके सिंदूर लगाया था. दिल दहला देने वाली इस खास पड़ताल का एक डरावना पहलू यह भी है कि बेबस-बेकसूर मां के कत्ल और दो खानदानों के कत्ल का गवाह बना वो मासूम, जिसे नहीं पता कि उसे जन्म देने वाली मां का कातिल उसका पिता ही है.

शालीमार बाग में शान से चढ़ा प्यार का परवान

बात है साल 2006 की. सीएल मेहरा का परिवार उन दिनों शालीमार बाग जैसे पॉश इलाके में ही रहता था. सीएल मेहरा का दुनिया भर में मशहूर चांदनी चौक में गारमेंट का अच्छा-खासा कारोबार था. आजादपुर मंडी के मशहूर कारोबारी अशोक मघानी का परिवार भी उस जमाने में शालीमार बाग इलाके में ही रह रहा था. बाद में मघानी परिवार शालीबार बाग से कुछ किलोमीटर पहले मौजूद रोहिणी सेक्टर-15 इलाके में शिफ्ट हो गया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक सीएल मेहरा का बेटा पंकज और अशोक मघानी की बेटी प्रिया फिर भी शालीमार बाग स्थित एक ही स्कूल में पढ़ते रहे. वहीं दोनो परिवारों की रजामंदी पर प्रिया और पंकज की शादी हो गई. शादी के बाद पंकज और प्रिया के यहां बेटे ने जन्म लिया, जिसका नाम ‘नाइस’ रखा गया.

अस्पताल के बाहर इकट्ठी प्रिया और पंकज के परिजनों की भीड़

अस्पताल के बाहर इकट्ठी प्रिया और पंकज के परिजनों की भीड़

वक्त ने जब शुरू की खुशियों की घेराबंदी

दिल्ली पुलिस और अब तक मीडिया में आई कहानी के मुताबिक, धीरे-धीरे वक्त ने करवट लेनी शुरू कर दी. जिसका विपरीत असर सबसे पहले पंकज के पिता पर पड़ना शुरू हुआ. गारमेंट वाले व्यापार में उन्हें भारी घाटा हो गया. जब बेटी का ससुराल सुखी नहीं थी तो भला ऐसे में अशोक मघानी परिवार भी कैसे आराम से सो-बैठ सकता था. बेटी की खुशियों में ग्रहण लगता देखकर प्रिया के मां-पिता की नींद भी उड़ गई. उधर पिता को बिजनेस के घाटे से उबारने के लिए पंकज (प्रिया का पति) ने एक दोस्त/परिचित की साझेदारी में डाई फैक्टरी खोल ली. पार्टनर ने धोखा दिया. लिहाजा पिता-पुत्र के लिए एक तरफ खाई दूसरी ओर कुआं वाले हालात पैदा हो गए.

प्रिया मेहरा हत्याकांड में सप्लीमेंटरी चार्जशीट अदालत में दाखिल करने वाले शालीमार बाग थाने के इंस्पेक्टर इन्वेस्टीगेशन सुधीर कुमार

प्रिया मेहरा हत्याकांड में सप्लीमेंटरी चार्जशीट अदालत में दाखिल करने वाले शालीमार बाग थाने के इंस्पेक्टर इन्वेस्टीगेशन सुधीर कुमार

वक्त ने सब दिखा दिया

कर्ज और व्यापार में घाटे से उबरने के लिए पंकज ने नया प्लान बनाया. जिसके मुताबिक उसने प्रिया के मायके वालों की मदद से दिल्ली के व्यस्ततम इलाके पहाड़गंज में 'किंग-बार' खोल दिया. पहाड़गंज में बार खोलने की प्रमुख वजह थी. वहां विदेशी पर्यटकों का हर वक्त भीड़ लगी रहती थी. जो सस्ते में मन भर के शराब-कबाब का शौक पूरा करने के लिए सस्ते बार की तलाश में हर वक्त रहते थे. बार का कारोबार बढ़ा तो, पंकज ने नौकरी पर एक-दो खूबसूरत लड़की रख ली. ताकि वे अपनी खुबसूरती के लटके-झटके और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलकर विदेशी ग्राहकों को लुभा सकें. अब तक मेहरा परिवार व्यापार में घाटे से उबरने के लिए शालीमार बाग वाला कीमती फ्लैट भी बेच चुका था.

कार के अंदर उस सीट पर फैला खून, जिस पर बैठे रहते हुए प्रिया को गोली मारी गई थी.

कार के अंदर उस सीट पर फैला खून, जिस पर बैठे रहते हुए प्रिया को गोली मारी गई थी.

दौलत की ख्वाहिश ने ‘दीन’ बना डाला!

वक्त तो पहले से ही मेहरा परिवार के साथ नहीं था. रही-सही कसर पंकज के हाथ अचानक लगे फ्लैट बिकने से मिले रुपयों ने पूरी कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंकज ने फ्लैट के बदले हासिल रकम को मौज-मस्ती और रातों-रात अमीर बनने के फेर में सट्टा-कारोबार में लगा दिया, ताकि घर की माली हालत को वक्त रहते संभाला जा सके. इंसान जैसे सोचता है वैसा कभी होता नहीं है. तो फिर दुर्दिनों में घिरता जा रहा मेहरा परिवार भी भला वक्त की मार से कैसे बच पाता? कहा जाता है कि सट्टे में मोटी रकम डूबते ही पंकज हड़बड़ा गया. आगे कैसे संभलना है? मुसीबत में पंकज और उसका परिवार यह भी सोचना-समझना भूल-सा गया. जिसका परिणाम सामने आया 24 अक्टूबर 2017 को आधी रात के बाद. दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को मिली 100 नंबर की एक अदद कॉल से.

कार के भीतर मौजूद प्रिया मेहरा की चप्पलें

कार के भीतर मौजूद प्रिया मेहरा की चप्पलें

पति के साथ प्रिया का आखिरी सफर

दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और थाना शालीमार बाग के इंस्पेक्टर सुधीर कुमार के मुताबिक, 24 अक्टूबर 2017 को रात करीब 10 बजे प्रिया को उसका पति पंकज कार से नई दिल्ली जिले में स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब ले जाने की बात कहकर घर से निकला था. साथ में बेटा नाइस भी था. गुरुद्वारे पहुंचने से पहले वे तीनों हडसन रोड स्थित पंकज के भाई के रेस्टोरेंट पर गए. रेस्टोरेंट से खाना खाने के बाद पंकज बीबी-बेटे सहित देर रात गुरुद्वारा बंगला साहिब पहुंच गया. अब तक बेटा नाइस सो चुका था और रात के तीन बज चुके थे. घर वापसी के इरादे से पंकज कार को लेकर चल दिया. प्रिया गोद में सोये बेटे नाइस को लेकर पंकज के बराबर वाली आगे की सीट पर सो गई. मास्टर-माइंड पंकज के दिमाग में षडयंत्र का जाल पूरी तरह बुना जा चुका था.

यह अलग बात थी कि, जिसने अग्नि के साथ फेरे लेकर, मांग में सिंदूर भरकर जीवन भर रक्षा करने की कसमें खाईं थीं. पत्नी उसके गलत इरादों से अनजान और बेखबर थी. प्रिया दूर-दूर तक नहीं भांप सकी. प्रिया को अब तक भी इसका अंदेशा नहीं था कि वो गुरुद्वारा बंगला साहिब से अपनी जिंदगी के अंतिम सफर पर निकल रही है.

वो कार जिसमें प्रिया को लगाया गया ठिकाने

वो कार जिसमें प्रिया को लगाया गया ठिकाने

कंट्रोल रूम को मिली संदिग्ध सूचना

बकौल इंस्पेक्टर सुधीर कुमार, तड़के करीब 4 बजकर 15 मिनट पर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम से शालीमार बाग थाने को कॉल मिली कि बादली रेड लाइट के यू-टर्न पर कार रोककर महिला को गोली मार दी गई है. चेहरे ढ़के हुए हमलावर हरियाणा नंबर की स्विफ्ट कार में सवार थे. महिला का पति इलाज के लिए उसे पास स्थित एक निजी अस्पताल में ले गया है. अस्पताल पहुंचने पर पुलिस को पता चला कि प्रिया मेहरा (30) नाम की महिला की मौत हो चुकी है. प्रिया का पति पंकज मेहरा बेटे नाइस के साथ अस्पताल में ही पुलिस को मौजूद मिला. शुरुआती छानबीन में पुलिस ने देखा कि प्रिया के बदन में करीब से दो गोलियां मारी गई थीं. कार की जिस अगली सीट पर प्रिया बैठी थी, उस पर खून फैला हुआ था. कार के आगे वाले दोनो शीशे भी टूटे हुए थे. सीट के नीचे प्रिया की पिंक कलर की दोनों चप्पलें पड़ी हुई थीं.

बचने के लिए हर रास्ता अख्तियार किया

पंकज ने जो कहानी पुलिस को बताई वो उसके (आरोपी) परिवार वालों के अलावा किसी के गले आसानी से नहीं उतर रही थी. प्रिया के परिवार और शालीमार बाग थाना पुलिस (उत्तर-पश्चिमी दिल्ली जिला पुलिस) को पंकज के बयान में कई झोल नजर आ रहे थे. उसके पीछे भी तमाम वजह थीं जो बाद में सही साबित हुईं. इन्हीं वजहों के चलते आखिरकार प्रिया की हत्या के आरोप में उसका पति पुलिस की नजरों में शुरू से ही कठक रहा था. पंकज मेहरा ही मुख्य आरोपी निकला. पत्नी प्रिया और दुश्मनों को ठिकाने लगाने की जुगत तलाशने के लिए पंकज ने लंबे समय तक यूट्यूब, सोशल मीडिया, टीवी पर आने वाले एक क्राइम शो को भी लगातार देखा. लैपटॉप पर अजय देवगन और तब्बू अभिनीत फिल्म दृश्यम भी देखी. इस तमाम कसरत के बाद भी आखिरकार वो खुद को बेगुनाह बीबी के कत्ल के आरोप में जेल की सलाखों से नहीं बचा पाया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक मास्टरमाइंड आरोपी ने सीसीटीवी से बचने का आइडिया फिल्म दृश्यम से ही चुराया था. वहीं उसने खुद की जान को खतरा बताकर एक दोस्त पिस्तौल खरीद ली थी.

संदिग्ध बयान और शक्की पुलिस

प्रिया की मौत के आरोपी उसके पति पंकज ने पुलिस को बताया कि उसने सोनीपत के एक आदमी से 5 लाख रुपए उधार ले रखे थे. वो आदमी 5 लाख की रकम को बढ़ाकर ब्याज के साथ 40 लाख रुपए कर चुका था. यह उधारी निपटाने का कोई रास्ता नहीं था. इसी दुश्मनी के चलते उस आदमी ने अपने साथी मोनू, पवन, संजय, मंजीत और दो-तीन अन्य के साथ मेरी पत्नी प्रिया की गोली मारकर हत्या कर दी. कुछ ही दिन पहले प्रिया हत्याकांड में सप्लीमेंटरी चार्जशीट अदालत में दाखिल करने वाले इंस्पेक्टर सुधीर कुमार ने कहा, 'जिन पर पंकज ने शक जताया उनमें से कोई भी आरोपी नहीं साबित हो सका. लिहाजा उनकी गिरफ्तारी भी नहीं की गई. जिस सीट पर प्रिया बैठी थी उसके नीचे कारतूस के दो खोखे पड़े मिले. जबकि आरोपी पंकज दूसरी ओर से गोली चलाए जाने की बात बता रहा था. पंकज के ही बयान को अगर सही माना जाए तो खाली खोखे ड्राइविंग सीट के नीचे मिलने चाहिए थे. बस यहीं से पुलिस का शक गहराता गया.'

‘तीसरी-आंख’ ने पलट दिया पासा

दिल्ली पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक प्रिया के अंतिम संस्कार के वक्त मुखाग्नि भी उसके पति पंकज ने ही दी. इसलिए पंकज के परिवार वालों का मानना था कि हत्यारोपी (पंकज मेहरा) भला पुलिस और परिवार के साथ श्मशान तक क्यों जाएगा? उसे तो भाग जाना चाहिए था. पुलिस मगर सब्र से काम ले रही थी. पुलिस को हर हाल में प्रथम दृष्टया पति पंकज मेहरा ही संदिग्ध लग रहा था. लेकिन जब तक यह बात पुलिस साबित नहीं कर देती और प्रिया का अंतिम संस्कार शांतिपूर्वक नहीं हुआ तब तक पुलिस ने चुप्पी साधे रहना ही ठीक समझा. पुलिस की रणनीति काम भी आई.

अब तक पुलिस के हाथ घटनास्थल के पास मौजूद एक पेट्रोल पंप पर मौजूद क्लोज सर्किट टीवी (सीसीटीवी) फुटेज लग चुकी थी. जिससे साबित हो चुका था कि पंकज वारदात के बारे में जो वक्त बता रहा था, उस वक्त में पंकज की कार के सिवाय उधर से काफी देर तक कोई दूसरी कार निकली ही नहीं थी. हालांकि, शालीबाग थाने के इंस्पेक्टर इंवेस्टीगेशन सुधीर कुमार के मुताबिक इस तथ्य को पुलिस आरोपी और उसके परिजनों से अंतिम समय तक छिपाए रही. वरना पड़ताल में वे लोग व्यवधान पैदा कर सकते थे.

श्मशान में गिरफ्तारी के बाद सलाखों में संदिग्ध

प्रिया के अंतिम संस्कार के बाद दिल्ली पुलिस ने संदिग्ध पंकज को श्मशान में ही पूछताछ के नाम पर हिरासत में ले लिया. थाना शालीमार बाग में जब उससे कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने सच कबूलने में देर नहीं लगाई. पंकज के जरिए पुलिस को बताई गई कहानी के मुताबिक, पंकज एक तीर से दो शिकार की जुगत में था. वह चाहता था कि किसी तरह से प्रिया से पीछा छूट जाए. जबकि सोनीपत के जिस आदमी का उस पर लाखों रुपए का कर्जा लदा हुआ था. उसे प्रिया की हत्या में फंसवाकर वो लाखों रुपए की उधार-देनदारी से भी साफ बच जाए. पंकज ने खुद की मोटी रकम सट्टेबाजी में लगाने की बात भी पुलिस के सामने कबूली.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिजनेस में मोटा घाटा और गलत सोहबत के चलते पंकज मेहरा चारों ओर से खुद को घिरा महसूस करने लगा था. वो कई-कई रात घर नहीं जाता था. इसी बात पर पत्नी प्रिया अक्सर उससे टोका-टाकी भी करती थी. उधर उधारी वाले और सट्टेबाज गिरोह के बदमाशों का डर उसे हमेशा सताता रहता था. लिहाजा ऐसे में उसने एक तीर से कई निशाने साधने की नाकामयाब कोशिश तो की मगर तीर सही दिशा में न जाकर उल्टे उसी को भेद गया. फिलहाल गिरफ्तारी के बाद से अब तक वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही कैद है.

(कहानी दिल्ली पुलिस के बयान और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. लेखक वरिष्ठ खोजी पत्रकार हैं.)

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