भारत में देह व्यापार वैध नहीं है. शायद इसीलिए वैध से कहीं ज्यादा अनुपात में यह धंधा 'अवैध' रूप से फल-फूल रहा है. जैसा दाम, बदले में वैसी ही लड़की. जैसी लड़की और ग्राहक वैसा ही इलाका और भोग-विलास की सुविधा. कुल जमा दिल्ली और उसके आसपास (गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा आदि) के इलाके में अवैध सेक्स (देह-व्यापार) का धंधा सुनियोजित तरीके से फल-फूल रहा है.
झोपड़ी से कोठी तक बिछा सेक्स कारोबार
'कमाऊ-काले-कारोबार' ने शायद ही किसी कोने को बख्शा हो. झुग्गी-झोपड़ी से लेकर आलीशान इमारतों (कोठियों) तक इस घिनौने धंधे के पांव पसर चुके हैं. झुग्गी-झोपड़ी गली-मोहल्ले में बदनाम कारोबार से जुड़ी लड़की या औरत अगर कम कीमत में उपलब्ध है तो कोठी-फार्म हाउस में कीमत (कीमत उम्र और खूबसूरती देशी-विदेशी पर डिपेंड होती है) दो हजार से पचास हजार-एक लाख तक भी हो सकती है.
काले धंधे में भी विश्वास सबसे ऊपर
काले कारोबार की नींव लड़की, दलाल और ग्राहक के बीच विश्वास पर ही खड़ी होती है. धंधे से जुड़े कुछ पूर्व जानकार तो यह भी कहते हैं कि देश की खुफिया एजेंसियों और किसी भी राज्य की पुलिस का नेटवर्क जितना ही अवैध देह व्यापार से जुड़े लोगों का नेटवर्क भी मजबूत होता है.
सोनू पंजाबन यानी काले धंधे में ‘स्मार्ट-दिमाग’!
दिल्ली में सेक्स रैकेट की लेडी डॉन सोनू पंजाबन इसी काले कारोबार से करोड़पति तक बन गई. सोनू पंजाबन भले ही 40 साल की उम्र पार कर गई हो लेकिन इसके बावजूद उसे सामने खड़े मर्द, लड़की-औरत को अपनी पर्सनैलिटी और बात करने की स्टाइल से पुलिस समेत किसी को भी चंद मिनट में आकर्षित करने का हुनर बखूबी आता है. सूत्रों के मुताबिक सोनू पंजाबन को चाहने वालों में युवाओं से लेकर अधेड़ उम्र तक के लोग शामिल हैं.
सोनू पंजाबन की गिरफ्तारी से साफ होता है कि राजधानी में अवैध देह व्यापार का काला कारोबार लघु उद्योग (स्मॉल इंडस्ट्री) के रूप में पनपता जा रहा है. खुलेआम नहीं, मगर गुपचुप तरीके से. वर्ष 2008 में गिरफ्तारी के बाद सोनू पंजाबन जब दिल्ली की तिहाड़ जेल से जमानत पर छूटकर बाहर आई तो आमजन ने सोचा कि जेल जाने के बाद शायद उसने सेक्स कारोबार से तौबा कर ली होगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इसकी ताजा मिसाल है उसकी दिल्ली से ही दोबारा हुई गिरफ्तारी. सोनू पंजाबन पर इस बार आरोप है कि उसने एक नाबालिग लड़की को खरीदा और उससे देह व्यापार कराना शुरू कर दिया.
हवालात में सोनू के आने से छूटे पुलिस के पसीने
गिरफ्तारी के बाद सोनू पंजाबन को दिल्ली के कमला मार्केट इलाके में पुलिस हवालात (लॉकअप) में ले जाया गया. पुलिस सूत्र बताते हैं उसने वहां इस कदर हंगामा बरपा दिया कि दिल्ली पुलिस (क्राइम ब्रांच की उस टीम को, जिसने सोनू पंजाबन को गिरफ्तार किया) दिसंबर की ठंड में भी पसीना आ गया. हवालात के बाहर इस कदर चौकसी बढ़ा दी गयी कि कोई परिंदा पर न मार पाए. आशंका थी कि दिल्ली पुलिस को सबक सिखाने के लिए सोनू पंजाबन हवालात के अंदर ही कहीं कुछ ऊंच-नीच न कर बैठे.
तीन शादियां...मांग में सिंदूर फिर भी न बचा!
आखिर सोनू पंजाबन देह व्यापार के काले कारोबार में इतनी बदनाम कैसे हुई? यहां यह भी जानना जरूरी है. 1980 में हरियाणा में जन्मी गीता अरोरा ने हाई स्कूल पास करने के बाद ब्यूटी पॉर्लर का काम शुरू कर दिया था. 17 साल की छोटी उम्र में ही विजय से उसकी शादी हो गई. विजय कुख्यात गैंगस्टर और गीता अरोरा का पहला पति था. विजय से शादी के बाद गीता उर्फ सोनू पंजाबन दिल्ली आ गई.
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दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक विजय गैंगस्टर के बच्चे की सोनू पंजाबन जब मां बनने वाली थी, उसी दौरान विजय को पुलिस ने एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया. पति की मौत के कुछ समय बाद ही सोनू के पिता की मौत हो गई. इसके बाद घरेलू, सामाजिक, आर्थिक हालात गीता के विपरीत होते चले गए. लिहाजा जिंदगी बसर करने के लिए गीता ने देह व्यापार के काले कारोबार में छलांग लगा दी.
गीता अरोरा से ऐसे बनी ‘सोनू पंजाबन’
अब तक गीता अरोरा का नाम भले ही सोनू पंजाबन न पड़ा हो मगर गीता दिल्ली में देह-व्यापार के उसूलों को बखूबी समझ चुकी थी. दौलतमंद-कामुक इंसानों की कमजोरी गीता अरोरा पकड़ चुकी थी. पुलिस सूत्रों के मुताबिक पहले पति विजय की मौत के कुछ साल बाद ही गीता ने दिल्ली में रह रहे दो भाइयों हेमंत उर्फ सोनू और दीपक से शादी कर ली.
अपराध की दुनिया में हेमंत और दीपक दोनो भाइयों की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में उन दिनों तूती बोलती थी. हेमंत-दीपक और पुलिस की टीमों के बीच अक्सर मुठभेड़ होती रहती थीं. वर्ष 2008 में दोनों कुख्यात भाइयों हेमंत और दीपक को पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया. दोनों भाइयों की मुठभेड़ में हुई मौत को लेकर भी उस वक्त गीता अरोरा का नाम मीडिया में उछला. कहा गया कि गीता अरोरा ने दोनों भाइयों से शादी कर के उनके खौफ का लाभ लेकर देह-व्यापार के धंधे की जड़ें राजधानी और आसपास के इलाके में फैला लीं.
उसके बाद पुलिस से मुखबिरी कर के दोनों का एनकाउंटर करवा दिया. इन तमाम तथ्यों की खुली जुबान से तस्दीक भले ही कोई न करे. लेकिन इतना जरुर है कि दोनों भाइयों के मारे जाने के बाद गीता अरोरा सेक्स के काले कारोबार में 'सोनू पंजाबन' के नाम से चर्चित हो गई. सोनू नाम पुलिस मुठभेड़ में मारे गए उसके पति हेमंत का उपनाम था.
देह व्यापार रोकने को गठित प्रकोष्ठ हुआ बंद
1996-97 में पूर्व मिस कोलकता को देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार कर के जेल भेजने वाले सहायक पुलिस आयुक्त (रिटायर्ड) जयपाल सिंह के मुताबिक सोनू पंजाबन कब कहां किससे कैसे पेश आ जाए इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. जयपाल सिंह दिल्ली पुलिस में एसीपी रह चुके हैं. साथ ही 1994 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त (दिल्ली) एमबी कौशल द्वारा दिल्ली पुलिस में गठित सोशल डिफेंस सेल में भी रहे हैं.
जयपाल सिंह के मुताबिक सोनू पंजाबन के बात करने का जो स्टाइल है उससे कोई भी पहली नजर में इम्प्रेस हुए बिना नहीं रह पाता है. सोनू पंजाबन गुस्सैल किस्म की महिला हैं. वो कब कहां किसके साथ क्या सलूक कर बैठे इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. जयपाल सिंह के मुताबिक सोनू पंजाबन ने अपने इर्द-गिर्द मौजूद आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का जितनी जल्दी और जिस तरह फायदा उठाया, अवैध देह व्यापार के धंधे से जुड़ी कम ही लड़कियों/महिलाओं को यह हुनर आता है.
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यहां उस दिलचस्प बात का भी जिक्र जरूरी है कि कौशल साहब ने देश की राजधानी दिल्ली में देह व्यापार, गैंबलिंग, अवैध शराब निर्माण और उसकी बिक्री की रोकथाम के लिए दिल्ली पुलिस में जिस ‘सोशल डिफेंस विंग’ का गठन किया था, वह प्रकोष्ठ 4-5 साल चलाकर बंद कर दिया गया था. सोशल डिफेंस विंग को खोले जाने का मकसद दिल्ली को हर हाल में देह व्यापार से मुक्त कराना था. जबकि बंद करने के पीछे तर्क था कि इस विशेष विंग की कोई खास जरूरत नहीं रही है. सोशल डिफेंस प्रकोष्ठ का काम थाना-पुलिस से भी लिया जा सकता है.
जयपाल सिंह के मुताबिक- ‘दिल्ली क्या भारत में मशहूर सेक्स रैकेट किंगपिन कंवलजीत हो, देह व्यापार में दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके से गिरफ्तार पूर्व मिस कोलकाता या फिर सोनू पंजाबन हो, सेक्स रेकैट से जुड़े दलालों के लिंक्स तकरीबन हर जगह मिलते हैं. हम लोग (पुलिस) छापा मारने के बाद जब तक इन्हें गिरफ्तार कर के अड्डे से बाहर नहीं निकल पाते थे तब तक सेक्स रैकेट में पकड़े गए दलालों और लड़कियों के लीगल एडवाइजरों की भीड़ मौके पर पहुंच चुकी होती थी.
पूर्व मिस कोलकता ने कोर्ट में जब मीडिया को धमकाया
यह बात जहां तक याद आ रहा है वर्ष 1996-97 की रही होगी. उस वक्त मैं क्राइम की एक मशहूर मैगजीन के लिए रिपोर्टिंग करता था. दिल्ली पुलिस की टीम (पूर्व एसीपी जयपाल सिंह) ने ग्रेटर कैलाश इलाके से खुद को पूर्व मिस कोलकाता बताने वाली कॉलगर्ल को तीन-चार अन्य लड़कियों के साथ गिरफ्तार कर लिया.
दिल्ली पुलिस ने इन लड़कियों (कॉलगर्ल्स) को डिकॉय ग्राहक बनकर गुरुग्राम स्थित एक फार्म हाउस में शादी के दौरान मौज-मस्ती के लिए बुक किया था. जब दिल्ली की तीस हजारी अदालत में पेश किया गया तो वह (कॉलगर्ल्स) मीडिया और पुलिस वालों के ऊपर ही बिफर पड़ीं और जेल से बाहर आते ही निपट लेने की नसीहत दे डाली थी.
काला धंधा चौपट कर सकती हैं तेज नजरें
दिल्ली पुलिस के एक पूर्व पुलिस आयुक्त के मुताबिक- ‘इस धंधे के अड्डों को नेस्तनाबूत करने के लिए पुलिस और पब्लिक को सतर्क रहने की जरुरत है. जिन इलाकों में यह अड्डे चलते हैं उसके आसपास के लोगों को सबसे पहले इन अड्डों के बारे में पता चलता है. किस मकान या फ्लैट में कौन नया परिवार या इंसान रहने आया है?
उस नए परिवार के आते ही वहां अनजान मर्दों, औरतों और लड़कियों का अचानक आना जाना बढ़ जाए तो भी शक की नजर से देखते हुए तुरंत पुलिस को बताना चाहिए. यही पुलिस बीट अफसर की जिम्मेदारी बनती है. धंधे से जुड़े गैंग्स कभी भी एक जगह और निजी (अपनी) स्थान पर अड्डा नहीं खोलते.
दलाल अधिकांश किराए के मकानों, कोठियों या फ्लैटों में अड्डा जमाते हैं. दलाल दो-दो, तीन-तीन महीने में या उससे भी कम समय में जगह बदलते रहते हैं. धंधे से जुड़े दलाल, महिलाएं और लड़कियों के असली नाम-पते-ठिकाने उनके खून के रिश्तेदारों (सगे संबंधियों) के अलावा किसी को नहीं पता होते हैं. भले ही वो सब कई साल से धंधा एक साथ कर रहे हों.
यह भी है इस काले कारोबार का एक कड़वा सच
दिल्ली पुलिस द्वारा पकड़ी गई कुछ कॉलगर्ल ने पूछताछ में कबूला था कि वो सुबह ऑफिस टाइम पर निकल कर सीधे देह व्यापार के अड्डों पर पहुंचती हैं. शाम ढले ऑफिस बंद होने के वक्त अपने घर पहुंच जाती हैं. इससे घरवालों को यही भान रहे कि वो नौकरी कर के लौट रही हैं.
इमोरल ट्रैफिकिंग प्रीवेंशन एक्ट (आईटीपी एक्ट) के तहत दिल्ली में देह व्यापार के कई अड्डों को नेस्तनाबूत करने वाले एक इंस्पेक्टर के मुताबिक इस धंधे में रंजिश भी खूब निभाई जाती है. इससे निपटने के लिए हर अड्डे पर बदमाशों की भीड़ हमेशा मौजूद रहती है. इन बदमाशों या फिर उनके नाम का इस्तेमाल धंधे में उतरी नई लड़कियों को डराने-धमकाने में ही ज्यादा किया जाता है. ताकि अड्डे पर लड़की कोई बवाल न खड़ा करे.
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या फिर वो विरोध स्वरूप अपना मुंह अड्डे के बाहर या फिर पुलिस के सामने न खोल दे. कहा जाता है कि इस मामले में सोनू पंजाबन की टक्कर का और कोई देह अड्डा संचालक नहीं रहा. उसने देह व्यापार के काले कारोबार में पांव जरूर रखा लेकिन धंधे के कांटों को, कांटों से ही निकाल कर दूर करती रही.
अक्सर सवालों से सांसत में रही सोनू पंजाबन
जब-जब सोनू पंजाबन के तीन पतियों की पुलिस मुठभेड़ में मौतें हुईं, तब-तब उंगली सोनू पंजाबन की ओर ही उठीं. यह अलग बात है कि समय के साथ बात आई गई हो गई. साथ ही पुलिस मुठभेड़ में मारे गए उसके किसी भी पति की मौत सोनू पंजाबन द्वारा की गई मुखबिरी जैसा कभी कोई आरोप साबित नहीं हो सका.
(यह लेख पूर्व में प्रकाशित हो चुका है)
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