सरकार पहले एक फैसला करती है कि होटल या रेस्तरां मालिक ग्राहकों से जबरन सर्विस चार्ज नहीं वसूलेंगे. रेस्तरां मालिक इस फैसले को दरकिनार करके टिप के बदले धड़ल्ले से सर्विस चार्ज वसूलते रहे हैं.
इस मसले पर कई मर्तबा ग्राहक और रेस्तरां मालिक या मैनेजरों के बीच बहस भी हो जाती थी. लिहाजा, सरकार ने 2 जनवरी को यह मतभेद खत्म करने के लिए इस पर स्पष्टीकरण दे दिया. उपभोक्ता मामलों के विभाग ने फिर साफ किया है कि सर्विस चार्ज देना या न देना ग्राहक की मर्जी होगी.
कितने ग्राहक अपनी मर्जी से देंगे टैक्स!
ऐसे में सवाल अब यह उठता है कि कितने ग्राहक अपनी मर्जी से सर्विस चार्ज देना चाहते हैं. जहां तक मिडिल क्लास का मामला है तो खाने के बिल के साथ करीब 15 फीसदी सर्विस टैक्स पहले ही उन्हें भारी लगता है.
ऐसे में टोटल बिल पर सर्विस चार्ज देने की दिलदारी शायद ही मिडिल क्लास का कोई शख्स दिखाए.
आमतौर पर ग्राहक खाने के बाद सर्विस से खुश होकर टिप देता है. लेकिन टिप के नाम पर बिल में सर्विस चार्ज जोड़ने पर यह ग्राहकों की मजबूरी बन जाती है. ऐसे में सरकार सर्विस चार्ज को पूरी तरह खत्म करने का फैसला क्यों नहीं करती? जब यह चार्ज देना ग्राहकों की मर्जी पर ही है तो फिर इसे बिल में शामिल क्यों करना चाहिए?
ग्राहकों की मर्जी फिर बिल में क्यों जुड़े टैक्स?
मौजूदा हालात में होगा यह कि रेस्तरां बिल में सर्विस चार्ज जोड़ेंगे और ग्राहकों को वह बिल चुकाना पड़ जाएगा.
एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले रोहित खुराना का कहना है, 'अगर आप अपने दोस्तों या परिवारवालों के साथ रेस्तरां में जाते हैं और बिल में सर्विस टैक्स के साथ सर्विस चार्ज भी जुड़ा रहता है तो आपके पास पूरा बिल पे करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.'
एक प्राइवेट कंपनी की मैनेजर लीना रुमोल्ड कहती हैं कि अगर सर्विस चार्ज देना ग्राहकों के मन पर है तो इसे बिल में शामिल नहीं करना चाहिए. रुमोल्ड ने कहा, 'खाने के बाद बिल आता है उसके बाद अगर हम यह कहें कि सर्विस चार्ज नहीं चुकाएंगे तो एक अजीब सी स्थिति पैदा हो सकती है. मुमकिन है कि रेस्तरां मैनेजर टिप के तौर पर सर्विस चार्ज लेने पर अड़ जाए. ऐसे में बहस होने का चांस बढ़ जाता है.'
कितना लगता है टैक्स
अगर आप बाहर खाने के शौकीन हैं तो आपको यह जरूर पता होगा कि आपके बिल का करीब 30 फीसदी हिस्सा सिर्फ सर्विस टैक्स और सर्विस चार्ज चुकाने में ही चला जाता है.
यानी अगर आपका बिल 1000 रुपए का आता है तो इसमें से 300 रुपए सिर्फ टैक्स के नाम चला जाता है. फिलहाल रेस्तरां में खाने पर 15 फीसदी सर्विस टैक्स लगता है. साथ ही होटल 5 से 20 फीसदी तक सर्विस चार्ज वसूलते हैं.
यह चार्ज वे टिप के बदले में लेते हैं. सर्विस चार्ज को लेकर उपभोक्ता और होटल मालिकों के बीच बहस भी होती रहती है.
ग्राहकों को चूना लगाते हैं रेस्तरां मालिक
कई ग्राहकों को इस बात की जानकारी भी नहीं होती कि उनकी देनदारी सिर्फ सर्विस टैक्स की होती है, सर्विस चार्ज की नहीं. सर्विस चार्ज का बहाना लेकर होटल मालिक ग्राहकों को खूब चूना लगाते हैं.
एक अहम बात यह भी है कि अगर कोई होटल या रेस्तरां टिप के नाम पर जबरन सर्विस चार्ज वसूलता है तो क्या ग्राहक के पास क्या विकल्प बचता है. सरकार ने अभी यह साफ नहीं किया है कि ऐसा करने वाले होटलों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी.
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