वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति द्वारा सीबीआई निदेशक के पद से आलोक वर्मा को हटाया जाना 'अन्याय' था. इसी के साथ उन्होंने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच का जवाब देने के लिए वर्मा को आमंत्रित किया जाना चाहिए था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी ने कहा कि वह पूरी तरह से जस्टिस (रिटायर्ड) पटनायक से सहमत हैं कि वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं था और सीवीसी जो कहती है वह अंतिम शब्द नहीं हो सकता है. जस्टिस पटनायक ने वर्मा के खिलाफ सीवीसी जांच की निगरानी की थी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्मा को फिर से बहाल करने के ठीक बाद ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जस्टिस पटनायक ने वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोपों और ड्यूटी से हटाने के चयन समिति के फैसले की आलोचना की थी. साथ ही उन्होंने इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया था.
स्वामी ने कहा कि वह पूरी तरह से जस्टिस पटनायक के बयान से सहमत हैं कि वर्मा को सीवीसी की जांच में आरोपों का जवाब देने के लिए कहा जाना चाहिए था. स्वामी ने कहा कि स्पेशल कमेटी को जस्टिस पटनायक की टिप्पणी भी ध्यान में रखनी चाहिए थी और वर्मा से जवाब देने के लिए कहा जाना चाहिए था.
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