जेएनयू की उच्च-स्तरीय जांच समिति ने उमर खालिद को कॉलेज से बाहर निकालने और कन्हैया कुमार पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाने के फैसले को सही ठहराया है. अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर 9 फरवरी 2016 में जेएनयू कैंपस में वहां के कुछ छात्रों ने एक पब्लिक मीटिंग का आयोजन किया था. जिसकी परमिशन जेएनयू के प्रशासन ने नहीं दी. इसके बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था. अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 में फांसी दी गई थी.
कैंपस में अफजल समर्थन और देशद्रोही नारे लगाने के इस मामले की जांच उस वक्त जेएनयू की एक पैनल ने किया था. उस पैनल में 5 सदस्य थे. अब जेएनयू की उच्च स्तरीय जांच समिति ने भी इस फैसले को अपना सही ठहरा दिया है.
क्या था पूरा मामला?
2016 की शुरुआत में जेएनयू पैनल ने खालिद और दो अन्य छात्रों को यूनिवर्सिटी से निकालने का फैसला सुनाया था. इसके साथ ही यूनियन प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार पर जुर्माना लगाया था. अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए 13 छात्रों पर जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना लगने के बाद इन छात्रों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने तब जेएनयू को निर्देश दिया था कि वह इस मामले को अपीलीय अथॉरिटी के सामने रखे जो पैनल के फैसले की जांच करेगा. एक सूत्र के मुताबिक उच्च स्तरीय जांच के बाद कुछ छात्रों की पेनाल्टी घटा दी गई है.
फरवरी 2016 में उमर खालिद, कन्हैया कुमार और अनिर्वाण भट्टाचार्य पर देशद्रोह का आरोप लगा था. इसके बाद काफी विरोध-प्रदर्शन हुआ और खालिद और कन्हैया कुमार को बेल पर छोड़ा गया था.
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