धारा 377 की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकता है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता सहित अलग-अलग पक्षों को सुनने के बाद 17 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं.
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क्या है धारा 377? धारा 377 ‘अप्राकृतिक अपराधों’ से जुड़ा है जो किसी महिला, पुरुष या जानवरों के साथ अप्राकृतिक रूप से यौन संबंध बनाने वाले को आजीवन कारावास या दस साल तक कैद की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
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किसने उठाया था पहली बार यह मुद्दा
धारा 377 का मुद्दा पहली बार गैर सरकारी संगठन ‘नाज फाउंडेशन’ने उठाया था. इस संगठन ने 2001 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और अदालत ने समान लिंग के दो वयस्कों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित करने वाले प्रावधान को 'गैरकानूनी' बताया था.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.
Sep 6, 2018
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जश्न मनाते लोग
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यह अमेरिकी खेल है. जल्द ही यहां गे बार खोले जाएंगे जहां पर होमोसेक्सुअल जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इससे एचआईवी के मामले बढ़ेंगे. इसलिए परिणामों को देखने के बाद मुझे उम्मीद है कि अगली सरकार 7 जजों की बेंच के पास मामले को भेजकर 5 जजों की बेंच के फैसले को पलट देगी.
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले पर बोलते हुए बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि किसी के निजी जीवन में क्या हो रहा है, यह किसी के लिए विषय नहीं होना चाहिए और न ही उसे दंडित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मूल रूप से एक जेनेटिकल डिसऑर्डर है, जैसे कि किसी व्यक्ति की 6 अंगुलियां होती हैं. स्वामी के मुताबिक, इसे ठीक करने के लिए मेडिकल रिसर्च होना चाहिए.
पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्वपूर्ण है. मैं खुश हूं कि कोर्ट ने एलजीबीटी के अधिकारों और दर्द को महसूस किया है. उन्हें समाज में उचित स्थान दिया है. इस निर्णय की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें दूसरों के समान अधिकार दिए जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हमसफर ट्रस्ट के लोगों ने मुंबई में निकाला एलजीबीटी प्राइड परेड
उन्होंने कहा कि पारंपरिक तौर पर भारतीय समाज में ऐसे संबंधों को मान्यता नहीं दी जाती है. एक आदमी अपने अनुभवों से सीखता है. इसलिए इस मामले से सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर निपटने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट के धारा 377 के फैसले पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, अरुण कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरह ही हम भी इसे अपराध नहीं मानते. हालांकि सेम सेक्स मैरेज और ऐसे संबंध न ही प्राकृतिक हैं और न ही सामाजिक तौर पर स्वीकृत है. इसी लिए हम ऐसे संबंधों को मान्यता नहीं देते हैं.
एलजीबीटी कार्यकर्ता अंकित गुप्ता ने कहा है कि आज का फैसला सच में ऐतिहासिक है. यह फैसला कहता है कि जो भारत के संविधान से अधिकार मिले हैं उसे एलजीबीटी समुदाय भी लाभ उठा सकता है. हमने एक कानूनी लड़ाई जीती है लेकिन अभी हमें समाज में भी जीत हासिल करनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ये स्वागत योग्य फैसला है.
ललित होटल के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर केशव सुरी ने कहा कि इस मामले में जितने भी जज और वकील ने कार्य किया है उनका इंटरव्यू लीजिए. मैं कुछ नहीं हूं, उनलोगों को धन्यवाद देना चाहिए. यह एक जश्न मनाने का समय है.
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद एलजीबीटी समुदाय के लोगों में खुशी की लहर
कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने भी जताई खुशी
करण जौहर ने भी धारा 377 खत्म होने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया.
करण जौहर ने भी धारा 377 खत्म होने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया.
ललित ग्रुप के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और धारा 377 के याचिका कर्ता केशव सुरी ने कहा कि यह सेलिब्रेट करने का शानदार मौका है.
ललित ग्रुप के होटल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत जश्न मनाकर किया गया
हमसफर ट्रस्ट के फाउंडर और LGBT के अधिकारों के लिए काम करने वाले अशोक राव कवि ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, हमें आखिरकार न्याय मिला. हमें अब आजाद हिंद के आजाद हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चेतन भगत ने भी अपनी खुशी जाहिर की है.
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्वाइंट
1 NALSA- LGBTQ समुदाय की जिंदगी और सम्मान से रहने का अधिकार है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का कहना है कि पहचान बरकरार रखना लाइफ के पिरामिड के लिए जरूरी है.
2 जस्टिस सुरेश कौशल ने नाज फाउंडेशन पर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बदल दिया. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि LGBTQ की आबादी बहुत कम है और इन्हें परेशान नहीं किया जाता है. जस्टिस कौशल का कहना है कि इस तरह के विचार की संविधान में कोई जगह नहीं है.
3 चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान की व्याख्या शब्दश: नहीं किया जा सकता है. यह वक्त के साथ बदलता रहता है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद देश के कई हिस्सों में जश्न का माहौल है.
धारा 377 को आंशिक रूप से हटाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. इसी के साथ 158 साल पुराना ब्रिटिश कानून खत्म हो गया. भारत में अब समलैंगिकता अपराध नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. इसी के साथ 158 साल पुराना ब्रिटिश कानून खत्म हो गया. भारत में अब समलैंगिकता अपराध नहीं है.
LGBT को भी बाकी लोगों की तरह फंडामेंटल्स राइट्स मिला है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का कहना है कि पहचान बरकरार रखना लाइफ के पिरामिड के लिए जरूरी है.
चारों जजों ने अलग-अलग फैसला लिखा है. पहला फैसला सुनाया जा रहा है. सभी फैसले सुनने के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा अंतिम फैसला सुनाएंगे.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता सहित अलग-अलग पक्षों को सुनने के बाद 17 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं.