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सेबी ने सहारा ग्रुप से कहा- निवेशकों के 14,000 करोड़ सूद सहित लौटाओ

मुश्किलों का सामना कर रहे सहारा समूह ने निवेशकों की 14,000 करोड़ रुपए की राशि वापस करने के बारे में बाजार विनियामक सेबी के नए आदेश पर शुक्रवार को कहा कि ऐसा करना ‘दोहरा भुगतान’ करने जैसा होगा

Updated On: Nov 02, 2018 08:53 PM IST

Bhasha

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सेबी ने सहारा ग्रुप से कहा- निवेशकों के 14,000 करोड़ सूद सहित लौटाओ

मुश्किलों का सामना कर रहे सहारा समूह ने निवेशकों की 14,000 करोड़ रुपए की राशि वापस करने के बारे में बाजार विनियामक सेबी के नए आदेश पर शुक्रवार को कहा कि ऐसा करना ‘दोहरा भुगतान’ करने जैसा होगा, क्योंकि 17 करोड़ रुपए को छोड़कर निवेशकों का पूरा भुगतान जा चुका है.

सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईसीसीएल) और सुब्रत रॉय सहित कई लोगों के खिलाफ सेबी के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए सहारा समूह ने कहा है कि यह 'नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध' है और वह उचित मंच पर इस मुद्दे को उठाएगा.

सहारा समूह की दो अन्य कंपनियों के खिलाफ निवेशकों की 24,000 करोड़ से अधिक की राशि लौटाने के सेबी के 2011 के आदेश को लेकर सेबी के साथ उसकी लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है. सेबी ने उस आदेश में समूह की कंपनी सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को निवेशकों का धन लौटाने का आदेश दिया था.

सहारा समूह उस मामले में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कायम व्यवस्था के तहत विशेष सेबी-सहारा खाते में उस राशि का एक बड़ा हिस्सा पहले ही जमा करा चुका है ताकि उससे निवेशकों का पैसा लौटाया जा सके. सहारा समूह का कहना है कि वह पहले ही 98 प्रतिशत राशि सीधे निवेशकों को लौटा चुका है.

अंतिम जानकारी के मुताबिक सेबी निवेशकों के ब्योरे की पुष्टि के बाद उनको अब तक 100 करोड़ रुपए लौटा चुका है.

अब एसआईसीसीएल के मामले में भी सहारा का कहना है कि सेबी का आदेश धन को दोबारा भुगतान करने की तरह का मामला हो जाएगा. यह मामला एसआईसीसीएल द्वारा 1998- 2009 के दौरान करीब दो करोड़ निवेशकों से 14,106 करोड़ रुपए जुटाए जाने का है. इसमें कहा गया है कि यह राशि एक करोड 98 लाख 39 हजार 939 निवेशकों से जुटाई गई थी.

समूह ने कहा है, 'एसआईसीसीएल ने ओएफसीडी से संबंधित अपनी सभी देनदारियों का भुगतान कर दिया है और अब 54,804 सदस्यों की ओएफसीडी देनदारी के तौर पर मात्र 17 करोड़ रुपए की देनदारी बकाया है. भुगतान किए गए ब्याज का टीडीएस आयकर विभाग में जमा किया जा चुका है. अतएव सेबी के इस आदेश के द्वारा उस देनदारी का दुबारा भुगतान (दोहरी देनदारी) का मामला बनता है जिसे एसआईसीसीएल ने पहले ही भुगतान कर दिया है.'

सेबी ने कहा है कि एसआईसीसीएल ने कंपनी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए ओएफसीडी की पेशकश के जरिए धन जुटाए. हालांकि समूह का कहना है कि एसआईसीसीएल ने 1998 में ओएफसीडी जारी करने के लिए कंपनी रजिस्ट्रार, कंपनी मामलों के मंत्रालय से प्रथम बार लिखित अनुमति प्राप्त की थी. उसने कहा है, 'हमने हर कार्य कानून के अनुसार और संबंधित सरकारी अधिकारियों से समुचित अनुमतियां लेकर ही किया था.'

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