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संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.
सेबी की स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को सुब्रत रॉय और कंपनी के तीन निदेशकों के खिलाफ गैर जमानती वारंट खारिज कर दिया.
किस शर्त पर खारिज हुआ वारंट?
इस वारंट को इस शर्त पर खारिज किया गया है कि आगामी सभी सुनवाई पर सुब्रत रॉय कोर्ट में मौजूद रहेंगे. इस मामले में अगली सुनवाई 18 मई को होगी जब उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए जिरह होगी.
सुब्रत रॉय और कंपनी के तीनों निदेशकों ने दो-दो लाख रुपए का नया जमानती बांड भरा. साथ ही लिखित आश्वासन दिया कि आगे की सभी सुनवाई में वे नियमित रूप से मौजूद रहेंगे.
अदालत ने रॉय और तीनों निदेशकों रविशंकर दुबे, अशोक राय चौधरी और वंदना भार्गव के खिलाफ सेबी मामले में 18 मई को फैसला किया जाएगा.
क्या था मामला?
सेबी ने सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कोरपोरेशन, सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट, उनके प्रवर्तक सुब्रत राय और तीन निदेशकों के खिलाफ 2012 में मामला दर्ज किया था.आरोप था कि इन कंपनियों ने स्टॉक एक्सचेंजों को बिना सूचीबद्ध कराए निवेशकों से भारी भरकम राशि वसूली थी.
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इससे पहले सुब्रत रॉय और तीनों निदेशकों कोर्ट में पेश नहीं हुए थे. जिसपर कोर्ट ने 31 मार्च को उनके विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किए थे.आरोपियों ने उनके विरुद्ध गैर जमानती वारंट को जारी किए जाने को लेकर मुंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. मुंबई हाई कोर्ट ने उन्हें राहत के लिए 3 मई से पहले निचली अदालत से संपर्क करने को कहा.
सेबी के अनुसार सहारा समूह की कंपनियों ने निजी नियोजन की आड़ में 2009 में कनवर्टिबल डिबेंचर्स जारी किए थे. इससे सेबी अधिनियम का उल्लंघन हुआ क्योंकि कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज में खुद को सूचीबद्ध कराना था जो उन्होंने नहीं किया.