तय सीमा के भीतर पुराने नोट जमा नहीं करानेवालों के लिए राहत की खबर. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि संविधान पीठ उन लोगों की व्यक्तिगत याचिकाओं पर भी विचार करेगी जो भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से तय समय सीमा में पुराने नोट जमा नहीं करा सके थे.
सोमवार को चलन से बाहर हुए नोटों को जमा करने की अनुमति के लिए दायर 14 याचिकाओं का निपटारा हुआ. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी के केंद्र के फैसले की वैधता के साथ ही इस पहलू पर भी पांच सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी.
याचिका दायर करने वाले कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने आरबीआई अधिनियम या केंद्र की 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को चुनौती नहीं दी है. वह अपने पास रखे चलन से बाहर हुए नोट जमा कराना चाहते हैं.
एक याचिकाकर्ता के वकील प्रणव सचदेवा का कहना था, ‘कानून सम्मत प्रक्रिया के बगैर ही हमारी मेहनत की कमाई जब्त कर ली गई है. हमें समुचित अवसर भी नहीं दिया गया.’
पीठ ने याचिका दायर करने वालों से कहा है कि वह लंबित याचिकाओं में दो-तीन पन्नों की अर्जी दें जिनपर संविधान पीठ बाद में सुनवाई करेगी. इसके साथ ही कोर्ट ने 14 व्यक्तिगत याचिकाओं का निबटारा कर दिया.
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