अंधविश्वास के खिलाफ कार्य करने वाले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हाल ही में की गई गिरफ्तारी के बाद सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ रही है. इससे पहले डॉ दाभोलकर की हत्या में कथित तौर पर शामिल होने के कारण संस्था के दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.
जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं हिंसा, बम विस्फोट और हत्याओं से सनातन संस्था का संबंध धीरे-धीरे लोगों के सामने आ रहे हैं. फिर भी इस संगठन के बारे में बहुत कम जानकारी है.
सनातन संस्था क्या है?
सनातन संस्था एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसकी स्थापना डॉ जयंत बालाजी अठावले ने 1990 में की थी. सनातन संस्था गोवा में 'चैरिटी संस्था' के तौर पर पंजीकृत है और यह एक दैनिक अखबार 'सनातन प्रभात' का प्रकाशन करती है. संगठन का एक और बड़ा केंद्र महाराष्ट्र के पनवेल में है. पुणे, मुंबई, मिराज (सांगली) और राज्य के अन्य हिस्सों में इसके कार्यालय हैं.
महाराष्ट्र एवं देश के अन्य हिस्सों में लाखों अनुयई होने का दावा करने वाला यह संगठन खुद को आध्यात्मिक संगठन बताता है. जो सामाजिक उत्थान एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काम करता है और धर्म को पुन: प्रकाशित करने के साथ साधकों (धर्म के मार्ग पर चलने वालों) की रक्षा करता है और अपराधियों को नष्ट करता है. यह संगठन हिन्दू राष्ट्र के विचारों का समर्थन करता है और लोगों को जागृत करने के लिए सभाओं का आयोजन करता है.
हिंसा का इतिहास
हिंसा के आरोप में संगठन का नाम पहली बार 2008 में सामने आया जब इसके दो सदस्यों पर पनवेल सिनेमा घर के बाहर विस्फोट करने का आरोप लगा जो कि जोधा अकबर फिल्म दिखा रहा था. इसके बाद संगठन के दो कार्यकर्ताओं को 4 जून 2008 को ठाणे में गडकरी रंगयतन ऑडिटोरियम के पार्किंग में बम रखने का दोषी पाया गया और उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई गई. यह बम अमही सतपुते नाटक के विरोध में रखा गया था, दोनों का दावा था कि इसमें हिन्दू देवताओं की छवि को धूमिल किया गया है. दोनों अभी जमानत पर बाहर हैं.
सनातन संस्था का नाम 2009 में गोवा के मडगांव में हुए बम विस्फोट में भी सामने आया, संस्था के सदस्यों पर आरोप लगा कि वे 16 अक्टूबर को स्कूटर में बम लेकर जा रहे थे. बम के पहले विस्फोट होने से दो सदस्यों की मौत हो गई. बाद में पुलिस ने इस मामले में संस्था के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया.
सनातन संस्था के हत्याओं के साथ संबंध
2013 में सनातन संस्था तब सबसे ज्यादा चर्चा में रही जब इसपर अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले लेखक डॉ नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या का आरोप लगा. दाभोलकर की हत्या के कुछ दिन बाद सनातन प्रभात ने लिखा, 'हर किसी को उसके कर्मों का फल मिलता है. किसी बीमारी से मरने अथवा ऑपरेशन के बाद दर्दनाक मौत मरने के बजाए डोभालकर को भगवान की कृपा से मौत मिली.'
दाभोलकर की संस्था महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अनुसार संगठन की तरफ से पिछले सात सालों ने उन्हें मारने की धमकी दी जा रही थी. दाभोलकर की हत्या के तुरंत बाद सनातन संस्थान की वेबसाइट पर उनकी एक तस्वीर जारी की गई थी जिसे लाल रंग से क्रॉस किया गया था.
दो साल बाद दो और हत्याएं हुई. पहली कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गोविंद पंसारे की और दूसरी कन्नड़ विद्वान कलबुर्गी की. जून 2016 में भारतीय अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 1998 से सनातन संस्था के सदस्य को 2013 में नरेंद्र डोभालकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया. सितंबर में संस्था के एक अन्य कार्यकर्ता को पंसारे की हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया. 5 सितंबर 2017 को घर के बाहर पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में भी सनातन संस्था की भागीदारी के संकेत सामने आए हैं.
सरकार की लापरवाही
हिंसा और हत्याओं की घटनाओं में संगठन का नाम आने के बाद भी केंद्र सरकार ने इसकी गतिविधियों की जांच में बहुत गंभीरता नहीं दिखाई. 2011 में न केवल महाराष्ट्र सरकार बल्कि गोवा और कर्नाटक ने संस्थान को एक आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए रिपोर्ट भेजी थी लेकिन तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राज्य सरकारों के सुझावों को ठुकरा दिया और अनुरोध को 'गुप्त' कहा.
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