पहली दफे ऐसा हुआ है कि हिरण का शिकार करने पर किसी ‘टाइगर’ को सजा मिली. ‘टाइगर जिंदा है’ की गूंज से डरे-सहमे हिरणों में अदालत के फैसले से अब राहत भरी होगी. वो ये सोचकर कुलांचे भर सकते हैं कि ‘टाइगर जेल में है’. ब्लैक बक के शिकार के मामले में अदालत का फैसला बेहद जरूरी था. क्योंकि सवाल सिर्फ सलमान खान का नहीं बल्कि सवाल उन बेजुबानों की जिंदगी का भी है जिनका अस्तित्व खतरे में है. अगर एक सलमान को सजा नहीं मिलती तो इसके बाद काले हिरण के शिकार के लिए कई ‘इच्छाधारी टाइगर’ भी अंगड़ाई भर सकते थे जिनके हाथों में बंदूक और दिमाग में रसूख का बारूद भरा होता है.
लेकिन सवाल उठता है कानून के 20 साल के यातना भरे सफर पर जिसे फैसले के लिए दो दशक भी कम पड़ गए. न्याय की लंबी प्रक्रिया किसी के लिए राहत होती है तो किसी के लिए यातना. सलमान खान को काले हिरण के शिकार के मामले में अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई है. लेकिन जो बीस साल सजा के खौफ के साए में सलमान ने गुजारे वो भी सजा से तो कम नहीं थे.
लोग उन्हें हिट एंड रन और ब्लैक-बक के शिकार के मामले में शिकायत भरी नजरों से देख सकते हैं. ये भी कह सकते हैं कि अपने रसूख के दम पर सलमान 20 साल तक मुकदमे की सुनवाई को हिरण की तरह दौड़ाते रहे. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि बीस साल तक अदालती फैसलों की तलवार सलमान की जिंदगी की सुबह-शाम और रात में सिर पर लटकती रही.
न्याय को अपने मुताबिक हासिल किया जा सकता होता तो शायद सलमान भी अपने हक में फैसला बीस साल पहले हासिल कर चुके होते. अगर बीस साल पहले सलमान को सजा मिल गई होती तो शायद पंद्रह साल पहले ही वो सारे मामलों से बरी हो चुके होते. लेकिन सलमान अपनी नियति की विडंबना का खुद शिकार होते चले गए.
जब हाथों में बंदूक थाम कर भागते बेजुबानों पर सलमान निशाना लगा रहे थे तब स्टारडम से उपजे अहम में उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. किसी की जान लेते समय उनके हाथ नहीं कांप रहे थे. लेकिन जितने गुनहगार सलमान हैं उतने ही वो लोग भी जो कहते थे कि ‘हम साथ साथ हैं’. बस फर्क इतना है कि उन लोगों के हाथ में बंदूक नहीं थी. लेकिन उस वक्त अगर सलमान को रोकने के लिए किसी एक की भी जुबान चली होती तो बंदूक की नाल से गोली न चलती जिसने सलमान को बंजारा ही बना डाला.
शिकार के रोमांच का मजा लेने के लिए किसी ने भी सलमान को रोका नहीं. किसी को काले हिरण के दम तोड़ने वाली चीख नहीं सुनाई दी. किसी को काले हिरण की टूटती सांसों ने झकझोरा नहीं. अगर गांव वालों ने गोली की आवाज न सुनी होती तो शायद चिंकारे के शिकार की खबर भी बाहर न निकली होती.
ऐसा भी नहीं कि वो उम्र गुनहगार थी जिसके जोश में किसी बेजुबान की जिंदगी की कीमत का अहसास न रहा हो. सलमान ने जो किया उसे कभी न कभी तो भुगतना ही था. गुनाहों की नियति ही ऐसी होती है. सलमान अब जेल में जरूर सोचेंगे कि आखिर काले हिरण को मार कर क्या मिला?
सलमान की जिंदगी भले ही पर्दे पर कभी ‘सुल्तान’, कभी ‘दबंग’ तो कभी ‘बजरंगी भाईजान’ बनकर उन्हें नायक बताती रही लेकिन असल लाइफ में वो ‘वांटेड’ बनकर अपने ऊपर लगे मुकदमों से बेसबब भागते-फिरते रहे.
किसी फिल्म की तरह ही लोग सलमान में दबंग किरदार देखते हैं. उनकी पर्दे की भूमिकाओं में उनका ग्लैमर देखते हैं. लेकिन खुद को ‘बीइंग ह्यूमन’ कहने वाला एक शख्स खुद भी आम इंसान ही है, जिसे आम लोग समझना नहीं चाहते हैं. चूंकि वो बॉलीवुड की ग्लैमरस रोशनी में एक चमकता सितारा हैं तो लोग उनके पीछे के अंधेरे को भी नहीं देखना नहीं चाहेंगे. इन बीस साल में हादसों के सिलसिलों ने सलमान को अपनी जिंदगी में पर्दे की चमक के अलावा दूसरे रंग भरने का मौका नहीं दिया.
एक तरफ रिश्तों का खालीपन तो दूसरी तरफ हादसे उनकी जिंदगी का हिस्सा बनते रहे. मुकदमों से दूर भागती जिंदगी में सलमान के रिश्ते भी पीछे छूटते चले गए. नामचीन अभिनेत्रियों के साथ रिश्तों के अध्याय के कुछ ही पन्ने लिखे गए तो बाकी वक्त ने फाड़ दिए. सलमान के साथ कई नाम जुड़े लेकिन वो मुकाम नहीं बन सके. बॉलीवुड का सुपरस्टार फैन्स की भीड़ के बावजूद निजी जिंदगी के अकेलेपन को भर नहीं सका. सलमान अपने गुजरे हुए कल की कीमत आजतक चुका रहे हैं. अतीत की गलतियों की वजह से सलमान अपनी जिंदगी की खामोशी को ‘द म्यूज़िकल’ नहीं कर सके.
एक बार फिर सलमान को शायद जमानत मिल जाएगी. वो वक्त से आजादी की थोड़ी मोहलत और खरीद लेंगे. लेकिन उनके पीछे दौड़ते काले हिरणों के मुकदमे से निजात तब भी नहीं मिलेगी क्योंकि अब वक्त सबसे बड़ा शिकारी बन चुका है. सलमान भी ये जान चुके हैं कि सलाखों के पीछे असल जिंदगी के किरदार की पटकथा लिखी जा चुकी है और इस भूमिका को ज्यादा टाला नहीं जा सकता है.
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