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कुंभ मेला 2019: साधुओं की मांग, जातीय आरक्षण खत्म और पाक के एटमी हथियार नष्ट करे मोदी सरकार

महंत गिरिजा शंकर कहते हैं कि, 'आज आजादी के 71 साल बाद भी हम गोल-गोल ही घूम रहे हैं. जमीनी हालात तो और भी बिगड़ गए हैं क्योंकि समाज का हर तबका आज अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहा है'

Updated On: Jan 10, 2019 03:12 PM IST

Yatish Yadav

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कुंभ मेला 2019: साधुओं की मांग, जातीय आरक्षण खत्म और पाक के एटमी हथियार नष्ट करे मोदी सरकार

प्रयागराज: सर्दियों के दिनों में दिल्ली में सियासत बड़ी दुनियावी सी लगती है. मगर, अध्यात्म के केंद्र प्रयागराज में ऐसा नहीं है. यहां पर इस महीने से संतों का सबसे बड़ा जमावड़ा यानी कुंभ होने वाला है और आस्था के इस विशाल समागम में सियासत पर गर्मागर्म बहस छिड़ी हुई है. संतों के बीच आरक्षण, शिक्षा और भारत के अपने पड़ोसी देशों से रिश्तों पर गर्मा-गर्म बहस छिड़ी हुई है. अखाड़ों में जमा संतों की बैठक में शामिल हों, तो एक सुर से एक ही बात सुनाई पड़ती है. वो ये कि इंसानियत का मुस्तकबिल बचाने के लिए धर्मगुरुओं को दखल देना ही होगा.

संतों ने नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार से अपील की है कि वो जाति के आधार पर आरक्षण को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाएं. संतों का मानना है कि जाति आधारित आरक्षण की वजह से समाज में नफरत फैल रही है. आरक्षण के खिलाफ जोर-शोर से आवाज उठाने वाले स्वामी नर्मदा भारती जी महाराज का कहना है कि जातिगत आरक्षण को खत्म करने के लिए सभी सियासी दलों को एकजुट होना चाहिए. आरक्षण का आधार आर्थिक ही होना चाहिए, किसी की जाति नहीं. चर्चा शुरू होने पर धूनी रमाए बैठे संन्यासी के इर्द-गिर्द दूसरे साधु भी जुट जाते हैं. गर्मा-गर्म बहस का एक ही निष्कर्ष निकलता है कि संन्यासियों के लिए पूर्ण बहुमत से बनी मोदी सरकार, उम्मीद की आखिरी किरण दिखती है.

समाज के दबे-कुचले लोग अपने पैरों पर खड़े हो सकें

नर्मदा भारतीजी महाराज कहते हैं कि, 'संत गण समाज में सौहार्द बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन जातिगत आरक्षण की वजह से देश की ताकत को बहुत नुकसान पहुंचा है. आरक्षण का इरादा तो ठीक है. लेकिन, इसकी वजह से समाज में गैर-बराबरी बढ़ रही है और एक जाति, दूसरी जाति से नफरत करने लगी है. आज सबको आरक्षण चाहिए, हर जाति के लोग अपने लिए आरक्षण मांग रहे हैं. चुनावी फायदे के लिए नेता इस आग को हवा दे रहे हैं.'

Kumbh Mela 2019 Allahabad: Sadhus of Shri Panchayti Niranjani Akhada during the Peshwai procession for the Kumbh Mela 2019 in Allahabad, Wednesday, Jan 2, 2019. (PTI Photo) (PTI1_2_2019_000020B) *** Local Caption ***

इस परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए महंग गिरिजाशंकर कहते हैं कि आजादी के बाद हमारे नेताओं ने आरक्षण को कुछ समय के लिए ही लागू करने की बात सोची थी, ताकि समाज के दबे-कुचले लोग अपने पैरों पर खड़े हो सकें. सरकार आरक्षण की मदद से भेदभाव दूर कर सके.

महंत गिरिजा शंकर कहते हैं कि, 'आज आजादी के 71 साल बाद भी हम गोल-गोल ही घूम रहे हैं. जमीनी हालात तो और भी बिगड़ गए हैं क्योंकि समाज का हर तबका आज अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहा है. ऐसे में हमारा समाज आरक्षण को काबिलियत पर तरजीह दे रहा है. ये सरकार भी पिछली सरकारों से अलग नहीं है. हमें मोदी से बहुत उम्मीद थी. हमें चुनावी सियासत से कोई मतलब नहीं. नेताओं को समझना चाहिए कि हम कुछ मुद्दों पर ख़ामोश नहीं रह सकते हैं.'

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नाम न बताने की शर्त के साथ एक महंत ने कहा कि पुजारियों को खुद को नेताओं से दूर रखना चाहिए. इस संन्यासी ने ये भी कहा कि साधुओं को समाज को सही रास्ते पर चलने की सीख देनी चाहिए और सरकार को अपना काम करने देना चाहिए.

असम के कामाख्या से आए महंग अद्वैत भारती महाराज इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. उन्होंने मोदी सरकार से अपील की कि वो आरक्षण पर साफ नीति लेकर आए. महंत अद्वैत भारती ने कहा कि जाति आधारित आरक्षण को देशहित में खत्म करना होगा, वरना ये धीरे-धीरे देश को नष्ट कर देगा.

वो कहते हैं कि, 'जातिगत आरक्षण खुदकुशी करने जैसा है. आज विकास के नाम पर जनता को छला जा रहा है. सियासी दल बेहतर भविष्य के ख्वाब दिखा रहे हैं. लेकिन, हकीकत में वो एक साथ रहने वाले लोगों के बीच जहर बो रहे हैं.'

अखाड़े में चल रही ये गर्मा-गर्म बहस जल्द ही शिक्षा व्यवस्था की तरफ मुड़ जाती है. कुछ संन्यासी आरोप लगाते हैं कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था कमजोर तबके को अच्छी तालीम नहीं दे रही है. महंत रमेश पुरी जी कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बुद्धिमान और सभ्य देश है. लेकिन, यहां की नई पीढ़ी को जो शिक्षा दी जा रही है, वो आज की चुनौतियों से पार पाने में मददगार नहीं है. हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था लागू करनी चाहिए जो हमारी प्राचीन परंपराओं के संरक्षण के साथ युवाओं को नई दुनिया की चुनौतियों से लड़ने में भी मदद करे.

महंत रमेश पुरी कहते हैं कि, 'आज हर कोई राष्ट्रवाद की बात कर रहा है. ज़रूरत है इसे हमारी शिक्षा व्यवस्था में शामिल करने की. मेरी नजर में राष्ट्रवाद की सबसे बड़ी दुश्मन तो राजनीति है. हम उस देश में रहते हैं जहां एक शौचालय बनाने में भी राजनीति घुस जाती है. ऐसे में आप को क्या लगता है कि राष्ट्रवाद किसी की प्राथमिकता है क्या? हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने देश को आज़ाद कराने के लिए ख़ुद को न्यौछावर कर दिया. लेकिन, मुझे लगता है सियासत के मौजूदा शोर में उनका बलिदान कहीं गुम हो गया है.'

महंत नागा बाबा रामपुरी कहते हैं कि राष्ट्रवाद पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, वरना ये समाज में और भी विभेद पैदा करेगा.

प्रयागराज में लगने वाले कुंभ मेले में साधू

प्रयागराज में लगने वाले कुंभ मेले में साधू

गांवों में शिक्षा की आधुनिक व्यवस्था की जानी चाहिए

महंत गिरिजा शंकर ने कहा कि राष्ट्रवाद का इम्तिहान सबसे पहले तो हमारे राजनेताओं का लिया जाना चाहिए. सबसे पहले नेताओं को ये सबक सिखाया जाना चाहिए कि वो उस जनता के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करें, जिसने उन्हें चुना है.

महंत गिरिजा शंकर कहते हैं कि, 'शिक्षा कल्पना पर नहीं हकीकत पर आधारित होनी चाहिए. आज लोगों के संघर्ष और बेरोजगारी को छुपाने के लिए हमें शब्दों की बाजीगरी का पर्दा नहीं डालना चाहिए. क्या हम समाज में लोगों की परेशानी नहीं देखते? आज गांवों में शिक्षा की आधुनिक व्यवस्था की जानी चाहिए, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का समावेश हो. इससे समाज का बहुत भला होगा.'

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बहस के दौरान चिलम का लेन-देन साधुओं के बीच चल रहा था. गांजे का धुआं इस गर्म बहस वाले अखाड़े से निकल रहा था. अखाड़ों में गांजे को प्रसाद कहा जाता है. एक कोने में शांत बैठे एक बुजुर्ग महंत ने कहा कि भारत को अगर अमन चाहिए, तो उसे पाकिस्तान के एटमी हथियार नष्ट कर देने चाहिए. इस महंत ने अपना नाम बताने से मना करते हुए कहा कि, 'अगर पाकिस्तान के एटमी हथियार आतंकियों के हाथ लग गए और उन्होंने परमाणु बटन दबा दिया, तो दुनिया के नक़्शे से भारत का नामो-निशान मिट जाएगा. राजनेता कहते कुछ हैं और करते कुछ और. हम पाकिस्तान पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.'

संतों के मुताबिक, बड़े सियासी मुद्दों पर परिचर्चा से बदलाव का रास्ता खुलता है. ये आध्यात्मिक शांति के लिए भी ज़रूरी है.

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