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सबरीमाला विवाद: कवरेज के लिए महिला पत्रकारों को न भेजें मीडिया संस्थान- हिंदूवादी संगठन

यह अपील तब की गई है जब भगवान अयप्पा मंदिर विशेष पूजा के लिए सोमवार को खुलने वाला है

Updated On: Nov 04, 2018 02:59 PM IST

FP Staff

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सबरीमाला विवाद: कवरेज के लिए महिला पत्रकारों को न भेजें मीडिया संस्थान- हिंदूवादी संगठन

केरल का सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा की विशेष पूजा-अर्चना के लिए सोमवार को एक दिन के लिए फिर से खुलने वाला है. हिंदू संगठनों ने तमाम मीडिया संगठनों से इस मामले को कवर करने के लिए महिला पत्रकारों को नहीं भेजने की अपील की है.

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और हिंदू ऐक्यवेदी समेत दक्षिणपंथी संगठनों के संयुक्त मंच सबरीमला कर्म समिति की ओर से यह अपील जारी की गई. मंदिर में 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दूसरी बार यह मंदिर खुलेगा.

पिछले महीने जब सबरीमला मंदिर 5 दिन के लिए मासिक पूजा के लिए खुला था तो इसकी रिपोर्टिंग करने के लिए आई महिला पत्रकारों से मारपीट और बदसलूकी की गई थी. साथ ही उनकी गड़ियों को भी निशाना बनाया गया और प्रदर्शनकारियों के उपद्रव के कारण उन्हें वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा था.

मीडिया संस्थानों के संपादकों को लिखे पत्र में समिति ने कहा कि 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने से स्थिति और बिगड़ सकती है. इसमें कहा गया है, ‘इस मुद्दे पर श्रद्धालुओं के रुख का समर्थन या विरोध करने के आपके अधिकार को पहचानते हुए हम उम्मीद करते हैं कि आप ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे स्थिति और बिगड़े.’

छावनी में तब्दील पूरा इलाका

सोमवार को विशेष पूजा के इस आयोजन के बीच किसी भी तरह के गतिरोध से निपटने के लिए प्रशासन ने पुरजोर तैयारी शुरू कर दी है. एनडीटीवी की खबर के अनुसार प्रशासन ने पूरे इलाके को एक बड़ी छावनी में तब्दील कर दिया है. पंबा से सन्निधनम के बीच करीब 1500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है ताकि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी न हो सके. इसके साथ ही कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है.

17 नवंबर से फिर खोला जाएगा मंदिर

त्रावणकोर के आखिरी राजा चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा के मंगलवार को जन्मदिवस के मौके पर सोमवार शाम को पूजा के लिए मंदिर खोला जाएगा. मंदिर मंगलवार को रात 10 बजे बंद किया जाएगा लेकिन वह 17 नवंबर से 3 महीने लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए दर्शन के लिए फिर से खोला जाएगा.

समिति ने लगाया सरकार पर आरोप

समिति ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार और रिट याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई करने का फैसला किया है लेकिन राज्य सरकार फैसले के खिलाफ ‘जन आंदोलन’ को जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है और पुलिस बल का इस्तेमाल कर ‘जल्दबाजी’ में इसे लागू करने की कोशिश कर रही है.

समिति ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में श्रद्धालुओं के पास शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.’

(भाषा से इनपुट)

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