सबरीमाला मंदिर में बीते 17 अक्टूबर को ही देश के अलग-अलग हिस्सों से महिलाएं दर्शन के लिए पहुंचने वाली थीं. कई महिलाएं यहां पहुंची भी, लेकिन दुर्भाग्यवश सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बावजूद प्रदर्शनकारी और हिंदू संगठनों की महिलाएं उन्हें भीतर प्रवेश करने नहीं दे रहीं.
भगवा झंडे के तले ये प्रदर्शनकारी बीते कई दिनों से मंदिर को घेरे खड़े हैं. इसके बावजूद महिलाओं द्वारा मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश जारी है.
शुक्रवार को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश की मांग करने वाली एक्टिविस्ट 'रेहाना फातिमा' और हैदराबाद की पत्रकार कविता जक्कल पूरी तैयारी के साथ मंदिर पहुंची. लेकिन प्रदर्शनकारियों की फौज ने उन्हें मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर ही रोक दिया. ये दोनों ही महिलाएं अकेले नहीं थी, बल्कि 150 जवानों की सुरक्षा में मंदिर की ओर बढ़ रही थी. इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों ने उन्हें आगे जाने नहीं दिया.
Kerala: The house of woman activist Rehana Fatima in Kochi was vandalised by unidentified miscreants earlier today. She had gone up to the #SabarimalaTemple this morning under police protection & returned midway after a meeting with Kerala IG. pic.twitter.com/OYvCG2mvmb
— ANI (@ANI) October 19, 2018
मामला यहीं पर खत्म नहीं हुआ. जिस समय रेहाना मंदिर में प्रवेश करने का संघर्ष कर रही थीं, ठीक उसी समय कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित उनके घर को प्रदर्शनकारियों ने निशाना बना लिया. रेहाना की गैर-हाजिरी में उन्होंने पूरे घर को तहस-नहस कर दिया.
हम केवल सुरक्षा दे सकते हैं, मंदिर में प्रवेश तो पुजारियों की सहमति पर ही संभव: आईजी
केरल के आईजी श्रीजीत ने कहा कि यह माहौल किसी आपदा के जैसा है. हमने उन्हें पूरी सुरक्षा के साथ मंदिर तक पहुंचाया,लेकिन दर्शन ऐसी चीज है कि वो बिना पुजारियों की सहमति के नहीं हो सकता. हम केवल सुरक्षा दे सकते हैं.
उधर राज्य देवासम (धार्मिक ट्रस्ट) मंत्री के. सुंदरन ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता जैसे कुछ लोग ही मंदिर में घुसने की कोशिश कर रहे हैं, सरकार के लिए यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन श्रद्धालु और कौन सामाजिक कार्यकर्ता है? उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि वहां दो महिलाएं हैं, जिनमें एक पत्रकार है.
Fact is even after SC verdict, no women devotee want to enter Sabrimala.
Today a muslim woman Rehana Fathima & a paid journalist Kavitha with no family history of worshipping Lord Ayappa trying to enter Sannidhanam under Police SecurityHindus will remember this day.
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) October 19, 2018
वहीं आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने भी रेहाना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सच्चाई तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद कोई भी महिला श्रद्धालु सबरीमाला में घुसना नहीं चाहती. आज ही एक मुस्लिम महिला रेहाना फातिमा और पेड पत्रकार कविता मंदिर में प्रवेश करना चाहती थीं. जबकि भगवान अयप्पा को पूजने का उनका कोई इतिहास ही नहीं है. हिंदू आप इस दिन को याद रखिएगा.
इस पर रेहाना ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, जो हमें रोक रहे हैं, वो कहां से श्रद्धालु हैं. मैं जानना चाहती हूं कि इसके पीछे का कारण क्या है. आप मुझे बताइए कि श्रद्धालु कैसे बनते हैं, फिर मैं आपको बताऊंगी की मैं श्रद्धालु हूं या नहीं. मुझे नहीं पता कि मेरे बच्चों को क्या हुआ. मेरी जान भी खतरे में है पर वो कह रहे हैं कि हमें सुरक्षा प्रदान करेंगे.
People, not the devotees, who want to disrupt peace didn't allow us to enter. I want to know what was the reason. Tell me, in which way one needs to be a devotee. You tell me that first & then I will tell you if I'm a devotee or not: Woman activist Rehana Fatima #SabarimalaTemple pic.twitter.com/SRtHyllcuQ
— ANI (@ANI) October 19, 2018
कौन हैं रेहाना फातिमा?
रेहाना केरल की महिलाओं के अधिकारों को लेकर हमेशा मुखर रही हैं. केरल के एक प्रोफेसर ने अपनी छात्राओं के शरीर के अंगों को तरबूज की तरह बताया. इसके बाद सोशल मीडिया पर कई महिलाओं ने तरबूज के साथ फोटो पोस्ट की. कुछ ने तरबूज के साथ टॉपलेस फोटो पोस्ट की. इस चलन की शुरुआत रेहाना फातिमा ने की. रेहाना एक मॉडल, एक्टिविस्ट हैं. 31 साल की रेहाना सरकारी नौकरी करती है. उनके दो बच्चे भी हैं.
रेहाना महिलाओं के शरीर को लेकर समाज में बनें स्टीरियोटाइप्स के खिलाफ समय-समय पर प्रदर्शन करती हैं. तरबूज वाला विरोध भी इसी का हिस्सा था. लेकिन फेसबुक ने वो फोटो 'अश्लीलता' की शिकायत के चलते हटा दी.
रेहाना इससे पहले किस ऑफ लव में भी हिस्सा ले चुकी हैं. इसके साथ ही वो केरल के त्रिशूर में ओणम के टाइगर डांस करने वाली पहली महिला हैं. उनसे पहले ये पारंपरिक नृत्य सिर्फ पुरुष करते थे. रेहाना शुरू से ऐसी नहीं थी. पुराने खयालातों वाले मुस्लिम परिवार में पैदा हुई रेहाना एक समय से हिजाब पहनती और पांच वक्त की नमाज पढ़ती थीं. रेहाना 12वीं में थीं तब उनके पिता की मौत हो गई. इसके बाद से उनकी जिंदगी बदल गई.
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