सबरीमाला में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना कुछ महिला पत्रकारों को करना पड़ा. बुधवार को उनके वाहनों पर भी हमले किए गए. इसके अलावा हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती के बावजूद पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश की एक महिला को बुधवार को भगवान अय्यप्पा स्वामी के दर्शन किए बगैर पम्बा लौटना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर नहीं करने के केरल सरकार के फैसले के बाद कार्यकर्ताओं में गुस्सा बढ़ गया है और पहाड़ी क्षेत्र में स्थित इस मंदिर के आस-पास तनाव का माहौल बना हुआ है.
पारंपरिक तौर पर 10-50 साल की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित को जारी रखने के पैरोकार कार्यकर्ता राहुल ईश्वर को पम्बा में गिरफ्तार किया गया. यहीं से मंदिर जाने का रास्ता शुरू होता है.
निलक्कल में बेहद तनावपूर्ण माहौल है. यहां कम से कम चार राष्ट्रीय टीवी चैनल की महिला पत्रकारों को प्रदर्शनकारियों ने जबरन वाहन से बाहर निकालकर उनके वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया.
टीवी पर प्रदर्शनकारी काले और भगवा कपड़े पहने दिख रहे हैं. उन्होंने निलक्कल से पम्बा जाने वाली महिला पत्रकारों को रोकने के लिए उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया.
आंध्रप्रदेश की पूर्वी गोदावरी जिला निवासी माधवी शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सबरीमाला पहाड़ी पर चढ़ने वाली पहली रजस्वला आयु वर्ग की महिला है. पम्बा और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती के बावजूद माधवी को बिना दर्शन किए लौटना पड़ा.
सबरीमाला की ओर जाने वाले रास्ते पम्बा, निलक्कल और इरूमेली में सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात हैं.
केरल के अलप्पुझा की रहनेवाली ‘प्रतिबंधित उम्र’ की एक महिला लीबी को भी पथनमथीट्टा बस टर्मिनल पर ही सबरीमाला की तरफ आगे बढ़ने से रोक दिया गया. पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला.
कांग्रेस और बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में हो रहे इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है.
तंत्री (मुख्य पुजारी) के परिवार और पंडलाम राज परिवार के सदस्यों ने पम्बा में 'नामजप' (प्रार्थना) की, जिन्हें पुलिस ने यहां से हटा दिया था. लेकिन इसके बाद बीजेपी नेताओं के एक समूह ने यहां ‘नामजप’ किया.
राज्य में बीजेपी के महासचिव के सुरेंद्रन, एम टी रमेश और शोभा सुरेंद्रन भी यहां मौजूद थे. इनका आरोप है कि बिना किसी उकसावे के पुलिस ने तंत्री (मुख्य पुजारी) के परिवार और पंडलाम राज परिवार के सदस्यों को यहां से हटा दिया.
अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के लिए मंदिर परिसर में मौजूद राज्य देवस्वम बोर्ड मंत्री कडकम्पल्ली सुरेन्द्रन ने कहा कि सरकार किसी को कानून अपने हाथ में लेने और श्रद्धालुओं को सबरीमाला आने से रोकने नहीं देगी.
उन्होंने कहा, 'बीजेपी-आरएसएस केरल में तनाव पैदा करना और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ना चाहती है. हम आरएसएस और भाजपा के एजेंडे को अच्छी तरह जानते हैं. हम श्रद्धालुओं के साथ किसी भी तरह का आमना-सामना नहीं चाहते हैं.'
गिरफ्तारी से ठीक पहले अय्यप्पा धर्म सेना के अध्यक्ष ईश्वर ने कहा था कि यह प्रदर्शन अहिंसक, असांप्रदायिक और गैर राजनीतिक होगा. पम्बा पुलिस स्टेशन में रखे गए ईश्वर का कहना है कि अय्यप्पा श्रद्धालु संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत अपना अधिकार चाहते हैं. इस अनुच्छेद में स्वतंत्र रूप से धर्म के पालन की आजादी है.
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