सबरीमाला पर महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने पर सबरीमाला के प्रमुख पुजारी ने निराशा जताई है. लेकिन उन्होंने कहा है कि इसके बावजूद वो ये फैसला स्वीकार करेंगे.
मंदिर के पुजारी कंडारारू राजीवारू ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला ‘निराशजनक’ है लेकिन मंदिर बोर्ड इसे स्वीकार करेगा.
वहीं, त्रावणकोर देवोस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने भी कहा कि कोर्ट के फैसले का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा और उसके बाद आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जाएगा. हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि वो धार्मिक गुरुओं से समर्थन जुटाकर इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पेटीशन दाखिल करेंगे
We will go for a review petition after getting support from other religious heads: Travancore Devaswom Board (TDB) president, A Padmakumar, on Supreme Court allows entry of all women in Kerala’s #Sabarimala temple. pic.twitter.com/9f0BVTlA7h
— ANI (@ANI) September 28, 2018
पद्मकुमार ने कहा कि बोर्ड ने कोर्ट को सूचित किया था कि वे मौजूदा नियम को जारी रखना चाहते हैं लेकिन अब इस फैसले को लागू करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि बोर्ड सुप्रीम के आदेश को लागू करने के लिए कदम उठाएगा लेकिन उन्होंने रिव्यू पेटीशन दाखिल करने की भी बात कही है.
वहीं, अयप्पा धर्म सेना के अध्यक्ष राहुल ईश्वर ने भी कहा कि वे पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे. ईश्वर सबरीमाला के पुजारी दिवंगत कंडारारू महेश्वरारू के पोते हैं. महेश्वरारू का इस साल मई में निधन हो गया था.
महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि अब महिलाएं ये तय कर सकती हैं कि वो जाना चाहती हैं या नहीं. पहले ये धर्म के नाम पर उनपर थोपा गया था. अगर बात समानता और धर्म के अधिकार की आती है, तो समानता की जीत होनी चाहिए.
I welcome the decision. Now women can choose if they want to go or not. Earlier it was imposed on them in name of religion. When right to equality&religion are there, right to equality should win: Rekha Sharma, NCW Chief on SC allows entry of women in #Sabarimala temple. #Kerala pic.twitter.com/q1JqN7V41U
— ANI (@ANI) September 28, 2018
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में केरल के सबरीमाला स्थित अय्यप्पा स्वामी मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि केरल के सबरीमाला मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लैंगिक भेदभाव है और यह परिपाटी हिंदू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है.
जस्टिस आर. एफ. नरीमन और जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ अपने फैसलों में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए. एम. खानविलकर के फैसले से सहमत हुए. न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ने बहुमत से अलग अपना फैसला पढ़ा.
(एजेंसी से इनपुट के साथ)
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