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आरएसएस ने ऑल इंडिया रेडियो को पछाड़ा? देश के 95% क्षेत्र में है पहुंच

ऑल इंडिया रेडियो की पहुंच देश के 92 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र तक है, जबकि आरएसएस ने दावा किया है कि उसकी पहुंच देश के 95 प्रतिशत क्षेत्र पर है

Updated On: Mar 10, 2018 03:13 PM IST

FP Staff

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आरएसएस ने ऑल इंडिया रेडियो को पछाड़ा? देश के 95% क्षेत्र में है पहुंच

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने दावा किया है कि उसने भारत के 95 फीसदी हिस्से तक अपनी पहुंच बना ली है. बात दें कि ये ऑल इंडिया रेडियो की पहुंच से भी ज्यादा है. ऑल इंडिया रेडियो की पहुंच देश के 92 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र तक है.

नागपुर में संघ के मुख्यालय में चल रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएस की अब पूरे भारत में 58,976 शाखाएं हैं. तीन दिन तक चलने वाली इस मीटिंग की शुरुआत में आरएसएस के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल ने कहा, 'आरएसएस की गतिविधियां अब भारत के 95 प्रतिशत भाग में हो रही हैं. नगालैंड, मिजोरम और कश्मीर घाटी के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर हम पूरे देश में मौजूद हैं.'

साल 2004 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार के जाने के बाद शाखाओं की संख्या करीब 10000 कम हो गई थी. लेकिन जब 2014 में बीजेपी केंद्र में सत्ता में वापस आई तो उसके बाद 2014 के मध्य तक शाखाओं की संख्या 40000 तक हो पहुंच गई. ये शाखाएं संगठन से जुड़े अधिकतर काम करती हैं.

यह मीटिंग हर तीन साल में एक बार आयोजित होती है. संघ के महासचिव भैयाजी जोशी ने पिछले साल सितंबर में त्रिपुरा में होने वाले 'हिंदू सम्मेलन' का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि पिछले साल पूर्वोत्तर, खासकर त्रिपुरा में होने वाले 'हिंदू सम्मेलन' कई तरह से प्रेरणादायक थे.

रिपोर्ट में कहा गया कि इस योजना के तहत हर आदिवासी से व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क साधने की कोशिश की गई थी. करीब 1 लाख लोगों तक पहुंच बनाई गई, जिससे हर घर में भगवा ध्वज फहराने लगा. प्रत्येक अर्थ में यह काफी प्रभावशाली साल था.

कृष्ण गोपाल ने कहा कि आरएसएस द्वारा किए गए प्रयासों का लाभ बीजेपी को हाल ही में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में हुए चुनावों में मिला है. त्रिपुरा में, कांग्रेस 25 सालों तक सीपीएम को नहीं हटा पाई और लगातार विपक्ष में बनी रही लेकिन बीजेपी ने आईपीएफटी के साथ मिलकर माणिक सरकार की सरकार को उखाड़ फेंका और शानदार जीत दर्ज की.

मेघालय में बीजेपी ने महज दो सीटें जीतकर ही कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया. बीजेपी और दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों की मदद से नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के कोनराड संगमा मुख्यमंत्री बने.

वहीं ईसाई बाहुल्य वाले नगालैंड में बीजेपी के समर्थन से नेफ्यू रियो की सरकार बनी. नगालैंड में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत ही अच्छा माना जा रहा है, क्योंकि नगालैंड बैप्टिस्ट चर्च द्वारा बीजेपी को हर तरह से रोकने की कोशिश की बावजूद पार्टी ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया. पिछले चुनाव में पार्टी सिर्फ 1 सीट जीत सकी थी.

पार्टी एक के बाद दूसरे राज्यों में लगातार जीतती जा रही है. पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने तीन पूर्वोत्तर राज्यों के परिणामों के बाद कहा कि उनकी पार्टी अब स्थापित रूप से संपूर्ण भारत की पार्टी है.

विधानसभा चुनावों से पहले, नॉर्थ ईस्ट में आरएसएस ने असम के गुवाहाटी में 'लुइतपोरिया हिंदू सम्मेलन' का आयोजन किया था ताकि लोगों को संघ की विचारधारा करीब लाया जा सके. 20 जनजाति राजस (आदिवासी राजा) को इस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. इसमें खासी, मसिंग, हाजोंग और तिवा सहित कई जनजातियों के प्रमुख शामिल हुए. इसमें राजनीतिक व सांस्कृतिक क्षेत्र से करीब 2000 बुद्धिजीवियों को भी बुलाया गया था.'

(न्यूज़18 के लिए आशुतोष त्रिपाठी की रिपोर्ट)

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