सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्याओं की शिकायतों को देखने के लिए एसडीएम को नोडल अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया है.
न्यायालय ने दिल्ली के कालिंदी कुंज और हरियाणा के मेवात में रह रहे रोहिंग्याओं की स्वास्थ्य, पानी, सफाई और शिक्षा से संबंधित शिकायतों को देखने के लिए क्षेत्र के एसडीएम को नोडल अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने केंद्र की एक स्थिति रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए एसडीएम को नोडल अधिकारियों के रूप में नियुक्त करने के निर्देश दिए. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि हरियाणा के मेवात जिले और दिल्ली के कालिंदी कुंज की झुग्गियों में रहने वाले भारतीय नागरिकों की तरह ही रोहिंग्याओं को सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है.
पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे. पीठ ने नौ अप्रैल को रोहिंग्याओं को शिविरों में उपलब्ध कराई जा रही नागरिक और अन्य सुविधाओं पर एक व्यापक रिपोर्ट मांगी थीं.
याचिकाकर्ताओं में से एक जफर उल्लाह ने आरोप लगाया था कि पेयजल और शौचालय जैसी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है जिससे शरणार्थियों के बीच डायरिया जैसी बीमारियां फैल रही है.
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुशार मेहता ने कहा कि केवल रोहिंग्या के अभिभावकों या रिश्तेदारों को क्षेत्र के एसडीएम के समक्ष शिकायतें रखने की अनुमति दी जाए.
पीठ ने केंद्र के इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और कहा कि रोहिंग्या के अभिभावक, परिवार के सदस्य या रिश्तेदार ही उनकी शिकायतों को लेकर एसडीएम के समक्ष जा सकते है.
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