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1984 Riot: कौन हैं सज्जन कुमार और कैसे आया इस पूरे मामले में उनका नाम

1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दगों में सज्जन कुमार का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया था. उनपर आरोप था कि उन्होंने ही भीड़ को उकसाया था

Updated On: Dec 17, 2018 02:27 PM IST

FP Staff

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1984 Riot: कौन हैं सज्जन कुमार और कैसे आया इस पूरे मामले में उनका नाम

1984 के सिख दंगा मामले में 34 साल बाद दंगा पीड़ितों को इंसाफ मिला. दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई. इसी साथ उन पर 5 लाख लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करना होगा.

1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दगों में सज्जन कुमार का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया था. उनपर आरोप था कि उन्होंने ही भीड़ को उकसाया था.

कौन हैं सज्जन कुमार?

सज्जन कुमार कांग्रेसी नेता हैं. 1970 के दशक में बाहरी दिल्ली के मादीपुर इलाके से उन्होंने म्युनिसिपल चुनाव लड़ा और जीते. 1980 में सज्जन कुमार ने चौधरी ब्रह्म प्रकाश को लोकसभा चुनावों में हरा दिया. ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के पहले सीएम रहे थे. 1980 तक सज्जन कुमार का राजनीतिक करियर तेजी से आगे बढ़ा लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद हुए सिख दंगों से उनका राजनीतिक करियर भी प्रभावित हो गया. उसी साल हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सिख वोट बचाने के लिए उनका टिकट काट दिया. ये सिलसिला 1989 में भी जारी रहा लेकिन 1891 में उन्हें फिर टिकट दिया गया. इसमें वे जीते भी. इसके बाद 1996 में वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण शर्मा से हार गए. इसके बाद 1998 और 1999 फिर से लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया. मगर 2004 में उन्हें फिर से टिकट मिला. इस साल उन्होंने अपने नाम दो रिकॉर्ड दर्ज किए. पहला, देश के लोकसभा चुानवों में सबसे ज्यादा वोट पाने का रिकॉर्ड और दूसरा दिल्ली में सबसे ज्यादा वोट से जीतने का रिकॉर्ड.

क्या था सिख दंगे का पूरा मामला और कैसे आया इसमे सज्जन कुमार का नाम?

इंदिरा गांधी की मौत के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे फैले थे. इस दौरान 1 और 2 नवंबर को दिल्ली कैंट में पांच सिखों को एक भीड़ ने मार डाला था. वहां मौजूद लोगों का कहना था कि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने भीड़ को उकसाया.  वहीं जो 5 सिख इस घटना में मारे गए उनमें केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह शामिल थे. इस दंगे की भेंट चढ़े केहर सिंह इस मामले की शिकायतकर्ता जगदीश कौर के पति थे, जबकि गुरप्रीत सिंह उनके बेटे थे. इस घटना में मारे गए अन्य सिख दूसरे गवाह जगशेर सिंह के भाई थे.

सज्जन कुमार पर मर्डर, डकैती, आपराधिक साजिश का आरोप था. बाद में नानावटी कमीशन की सिफारिश के बाद 2005 में सज्जन के खिलाफ केस दर्ज हुआ. CBI ने सज्जन के खिलाफ दो चार्जशीट फ़ाइल कीं. सज्जन के अलावा कांग्रेस के ही जगदीश टाइटलर और दूसरे कई नेताओं पर दंगे भड़काने के आरोप है. 2009 में कांग्रेस ने सज्जन कुमार को लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था.

सीबीआई ने 2005 में जगदीश कौर की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दिल्ली कैंट मामले में सज्जन कुमार, कैप्टन भागमल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

इसके बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ 13 जनवरी 2010 को अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था. इनमें से सज्जन कुमार को कोर्ट ने बरी किया जबकि बाकी पांचों लोगों को दोषी करार दिया गया है.

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