निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. 9 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है. कोर्ट ने कहा है कि आधार की सूचना लीक नहीं कर सकते. निजी सूचना सार्वजनिक करना गलत है. यूजर्स का डेटा लीक नहीं कर सकते. साथ ही कोर्ट के फैसले से आधार कार्ड योजना को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि निजता का हनन करने वाली सरकारी नीतियां गलत हैं.
The nine judge bench of SC unanimously ruled that #RightToPrivacy is a Fundamental Right.
— ANI (@ANI) August 24, 2017
नौ जजों की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के ही 1954 और 1962 के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें कहा गया था कि निजता भारतीय नागरिकों का अधिकार है लेकिन इसे मौलिक अधिकार की श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता है.
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने बेंच के सबसे वरिष्ठ जज होने के नाते फैसला पढ़ा. उन्होंने कहा कि फैसला सभी जजों ने एकमत से लिया है. छह और आठ जजों की बेंच द्वारा लिए गए पुराने दो फैसलों को खारिज किया गया है. राइट टू प्राइवेसी जीने के अधिकार का अंतर्निहित हिस्सा है और अब यह संविधान की आर्टिकल 21 के पार्ट 3 का हिस्सा है.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार को बड़ा झटका लगा है. इस फैसले से आधार की वैधता तय नहीं होती. उस पर 5 जजों की पीठ फैसला करेगी. निजता का अधिकार संविधान की धारा 14, 19 और 21 से सीधे संबद्ध है. इसलिए यह नागरिकों का मौलिक अधिकार है.
कोर्ट के इस फैसले पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आधार पर अंकुश लगेगा. लेकिन ये फैसला सरकार के लिए झटका नहीं है. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि 1947 में मिली आजादी आज समृद्ध हुई है.
Privacy is the core of personal liberty. Article 21 has acquired a new magnificence.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 24, 2017
उमर अब्दुल्ला ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई
I have a right to privacy & it's a fundamental one. Yeyy
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 24, 2017
Hope cheer leaders remember the govt aggressively opposed Privacy Right before Court. Shall await ministers congratulating the PM for this.
— Salman Khurshid (@salman7khurshid) August 24, 2017
आपको बता दें कि आधार कार्ड को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई होते-होते मामला निजता के अधिकार यानि राइट टू प्राइवेसी पर पहुंच गया था. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर के नेतृत्व में 9 जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई की. इस मामले में शीर्ष अदालत ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला 2 अगस्त को सुरक्षित रख लिया था.
जस्टिस खेहर ने संविधान बेंच में जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस एसए बोडबे, जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस अब्दुल नजीर को भी शामिल किया था.
दरअसल मामला ये है कि आधार कार्ड को तमाम जरूरी सुविधाओं के लिए अनिवार्य किया जाने लगा और निजी हाथों में भी आधार की जानकारी जाने लगी. तब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को सिंगल बेंच से कराने के बजाए 9 सदस्यीय संविधान पीठ से कराने का फैसला लिया. पीठ यह भी तय करेगी कि निजता मौलिक अधिकार है या नहीं? क्या यह संविधान का हिस्सा है? इस फैसले का असर सीधे-सीधे विभिन्न सरकारी योजनाओं को आधार कार्ड से जोड़ने के मामले पर पड़ेगा.
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुल 21 याचिकाएं दायर की गईं हैं. कोर्ट ने 7 दिनों तक लगातार सुनवाई की थी और इसके बाद 2 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखकर 24 अगस्त की तारीख फैसले के लिए निर्धारित की थी.
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