राजपथ के अंतिम छोर पर इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति को सैल्यूट करते हुए प्रधानमंत्री पुष्प अर्पित करते हैं, साथ ही दो मिनट का मौन भी रखा जाता है. इस तरह देश की सम्प्रभुता की रक्षा में शहीद हुए जवानों को सबसे बड़ा गणतंत्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है.
फिर आगाज होता है विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की झांकियों की परेड का. 26 जनवरी की यह परेड, भारतीय सैन्य सामर्थ्य के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक परम्पराओं को प्रदर्शित करती है. यह परेड रायसीना हिल्स से शुरू होते हुए राजपथ से गुजरती हुई इंडिया गेट तक जाती है.
कब और कहां हुई गणतंत्र दिवस परेड
दरअसल हमेशा से ऐसा नहीं होता था. 1950 से 1954 तक यह परेड अलग-अलग जगहों पर हुई. इरविन स्टेडियम (नेशनल स्टेडियम) किंग्सवे (राजपथ) लाल किला और रामलीला मैदान में इसका आयोजन किया गया.
पहली बार गणतंत्र दिवस की परेड साल 1950 में इरविन स्टेडियम में हुई थी. जिसका नाम पूर्ववर्ती वाइसरॉय इरविन के नाम पर रखा गया था. इरविन स्टेडियम बाद में नेशनल स्टेडियम बना और फिलहाल इसका नाम मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम है.
हालांकि इसके बाद परेड किस-किस जगह हुई इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड तो उपलब्ध नहीं हो सका. लेकिन लोगों का कहना है कि इस दौरान परेड अलग-अलग जगहों पर हुई. जिनमें कभी लाल किले पर तो कभी रामलीला मैदान में.
आधिकारिक रिकॉर्ड्स के मुताबिक साल 1955 से गणतंत्र दिवस समारोह राजपथ पर होने लगा. और आज तक परेड का आयोजन स्थल राजपथ ही है.
1962 चीन युद्ध में हार के बाद आरएसएस ने की परेड
भारत कई कुर्बानियों के बाद भी जब 1962 का युद्ध चीन से जीत नहीं पाया तब भारतवासियों का मनोबल काफी टूट गया था. ऐसे में युद्ध खत्म होने के दो महीने बाद साल 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ऐसा काम किया कि सब हैरान रह गए.
नेहरू ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का न्योता भेजा. दरअसल 1962 के युद्ध में आरएसएस ने सेना की काफी मदद की थी. जिसके योगदान के सम्मान में नेहरू ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने को कहा. बताते हैं कि 1963 के गणतंत्र दिवस समारोह में लगभग 30,000 से 35,000 स्वंयसेवकों ने परेड की.
परेड तो हुई पर बिना मुख्य अतिथि के
बता दें कि इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में पहली बार एक साथ 10 देशों के मेहमान मुख्य अतिथि के तौर पर आ रहे हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ है जब गणतंत्र दिवस परेड में किसी भी विदेशी मेहमान को निमंत्रण नहीं भेजा गया.
ऐसा पहली बार हुआ साल 1952 में, जब गणतंत्र दिवस समारोह में किसी भी विदेशी प्रतिनिधी को न्योता नहीं भेजा गया. इसके अगले साल यानी 1953 में भी कोई विदेशी मेहमान गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.