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चार साल की मासूम से बलात्कार करने वाले शिक्षक को सुनाई गई फांसी की सजा बरकरार

आरोपी ने भी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. प्रकरण की सुनवाई पूरी होने के बाद पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था

Updated On: Jan 25, 2019 09:59 PM IST

Bhasha

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चार साल की मासूम से बलात्कार करने वाले शिक्षक को सुनाई गई फांसी की सजा बरकरार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने चार वर्षीय मासूम का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार करने वाले शिक्षक को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है.

हाईकोर्ट के जस्टिस पी के जायसवाल और जस्टिस अंजुली पालो की पीठ ने शुक्रवार को दिए अपने आदेश में कहा कि दिन ब दिन इस तरह के अपराध घटित हो रहे हैं. सुधारात्मक उपाय अप्रभावी हो रहे हैं. न्याय की यह मांग है कि जनता की घृणा को दर्शाने वाले अपराध से कोर्ट मुंह नहीं मोड़े. पीठ ने घटना को दुर्लभ मानते हुए आरोपी को सुनाई गई फांसी की सजा को उचित ठहराया.

सतना जिले के उचेहरा थाना इलाके में आदिवासी बाहुल्य गांव परसमनिया में 30 जून व एक जुलाई की रात को आरोपी महेंद्र सिंह गौंड शराब के नशे में बच्ची के घर पहुंचा था. आरोपी कुछ देर तक बच्ची के पिता से बात करने के बाद वहां से चला गया. बच्ची के पिता जब शौच के लिए बाहर गए तब वह वापस आया और बच्ची का अपहरण कर जंगल में ले गया, जहां उसने बच्ची के साथ बलात्कार किया और उसे मृत समझकर छोड़कर चला गया.

बच्ची के पिता जब वापस आए तो बच्ची को घर में नहीं पाकर गांव में उसे तलाशने लगे. ग्रामीणों ने भी बच्ची की तलाश की, परंतु वह नहीं मिली. बच्ची दूसरे दिन सुबह जंगल में लहूलुहान हालत में मिली थी.

उचहेरा पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच के बाद आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रकरण पेश किया. बच्ची को गंभीर अवस्था में उपचार के लिए दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती किया गया था. अस्पताल में उसका एक माह तक उपचार चला.

सतना जिले के नागौद में निचली अदालत ने आरोपी को 19 सितंबर को फांसी की सजा से दंडित किया, जिसके बाद जिला न्यायालय ने फांसी की सजा की पुष्टि के लिए प्रकरण को हाईकोर्ट में भेजा था.

आरोपी ने भी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. प्रकरण की सुनवाई पूरी होने के बाद पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

पीठ ने शुक्रवार को जारी फैसले में कहा कि आरोपी के शिक्षक होने के कारण उसका दायित्व था कि वह समाज को नैतिकता का पाठ पढ़ाए. आरोपी शिक्षक की पवित्र भूमिका निभाने लायक नहीं है. उसने नैतिकता को नीचे दिखाने वाला घृणित कार्य किया है. पीठ ने प्रकरण को दुर्लभ मानते हुए उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी.

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