उत्तर प्रदेश में रेप वीडियो की बिक्री के कारोबार पर अल-जजीरा की रिपोर्ट सामने आने के बावजूद सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. उम्मीद थी कि पुलिस हरकत में आएगी और इस गोरखधंधे पर लगाम लग सकेगी.
फ़र्स्टपोस्ट ने इसी मुद्दे पर दोबारा पड़ताल की तो पाया कि रेप वीडियो का यह गोरखधंधा यूपी पुलिस की नाक के नीचे बदस्तूर जारी है. रेप वीडियो का ऐसा बाजार हमारी पुरुषवादी सोच का ही नतीजा है.
इससे न सिर्फ कानून और व्यवस्था का मजाक उड़ रहा है, बल्कि इससे महिलाओं के खिलाफ और अपराधों की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं.
पुलिस का दावा है कि वो इन्हें रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. लेकिन फ़र्स्टपोस्ट को मिली जानाकारी के मुताबिक यूपी पुलिस और सरकार के इस आश्वासन के बावजूद नए रेप वीडियो लगातार सामने आ रहे हैं.
पुलिस की गंभीरता पर सवाल
जब फ़र्स्टपोस्ट ने सहारनपुर के डीआईजी जेके शाही को इस बारे में बताया तो उन्होंने एक बार फिर इसे वॉट्सऐप पर भेजने के लिए कहा. जबकि अश्लील वीडियो फैलाना कानूनन अपराध है.
Not only illegal but highly disgusting. @yadavakhilesh @Uppolice hope you're investigating this. https://t.co/C8lfWfeJkx
— Pratiksha Rao (@RaoPratiksha) November 4, 2016
सहारनपुर में रेप वीडियो जमकर खरीदे-बेचे जा रहे हैं.
@RaoPratiksha - We have forwarded the matter to @meerutpolice for necessary action. @AshrafAsad
— UP POLICE (@Uppolice) November 4, 2016
डीआईजी साहब ने अपने विभाग के अन्य अफसरों की तरह से हमें भरोसा दिलाया कि सभी थाना प्रभारियों (एसएचओ) को चौकस रहने के लिए कहा गया है. हालांकि उन्होंने इस मामले में अभी तक हुई किसी ठोस कार्रवाई का ब्योरा देने से इनकार कर दिया.
आईजी मेरठ रेंज, अजय आनंद ने कहा कि उन्होंने इस तरह के करोबार में लगी दुकानों पर छापे की कारवाई की है. उन्होंने सभी पुलिस अधिकारियों को इस तरह के कारोबार को रोकने के लिए सचेत कर दिया है.
इन दावों की हकीकत जानने के लिए फ़र्स्टपोस्ट ने अपने सूत्रों से बात की. इन सूत्रों ने बताया कि रेप वीडियो बेच रहे दुकानों पर कोई छापे नहीं पड़े हैं. यह धंधा लगातार पनप रहा है.
मेरठ से करीब 15 किमी दूर गांव इंचोली में इलेक्ट्रॉनिक रिपेयर शॉप चलाने वाले एक पोर्न वीडियो के डीलर ने हमें बताया कि उनकी दुकान पर छापा नहीं पड़ा है.
गांव में मिलते है रेप वीडियो
डीलर ने कहा, ‘मेरी दुकान और मेरे लैपटॉप्स और कंप्यूटरों को चेक करने कोई नहीं आया. हम पोर्न को पहले की तरह बेच रहे हैं.’
उसने बताया,’ मैं रेप वीडियो नहीं बेचता, हो सकता है कि ये मेरे कंप्यूटर पर कहीं पड़े हों और कस्टमर को पोर्न ट्रांसफर करने में मैंने उन्हें भी ट्रांसफर कर दिया हो. लेकिन, खासतौर पर रेप वीडियो बेचने का मेरा कोई इरादा नहीं है.’
इस डीलर ने कहा,’ हिंसात्मक सामग्री वाले वीडियो हमारे पास पहुंचते हैं. हम इन्हें जानबूझकर रेप वीडियो के तौर पर नहीं बेचते हैं.’
रेप वीडियो उस तक पहुंचने को लेकर भी दिलचस्प है. डीलर के मुताबिक,’ कई बार कस्टमर हमारे पास अपना लैपटॉप या मोबाइल फोन ठीक कराने आते हैं. इनमें कुछ पर्सनल वीडियो होते हैं. हम उन्हें डाउनलोड कर लेते हैं. फिर इन्हें बेचते हैं. इनमें अगर कुछ रेप वीडियो हो तो हम इसका कुछ नहीं कर सकते.’
कस्टमर ने इस धंधे के काम करने के तरीकों का खुलासा किया था. उसने बताया था कि रेप वीडियो बेचने का धंधा कैसे पनप रहा है.
सहारनपुर के एक गांव में रहने वाले इस कस्टमर ने बताया था कि वो अपने गांव की दुकानों पर ‘खास’ पोर्न मांगते हैं. दुकानदार उन्हें रेप वीडियो देता है.
उसने कहा,’ हम इन्हें देखना पसंद करते हैं. इनमें कुछ नया होता है, हम वही पुराने पोर्न देखकर बोर हो गए हैं.’
नेताओं को महिलाओं की फिक्र नहीं
इंचोली के दुकानदार ने हमें बताया कि इस तरह के वीडियो का धंधा आगरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर समेत पूरे पश्चिमी यूपी में जबरदस्त ढंग से चल रहा है. दुकानदार के मुताबिक रेप वीडियो शहरों या कस्बों की बजाय गांवों की दुकानों पर मिलते हैं.
इस मामले में राजनीतिक वर्ग से प्रतिक्रिया हासिल करने की कोशिश में फ़र्स्टपोस्ट ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी से बात करनी चाही. लेकिन उनकी तरफ से फोन या फिर ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला.
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध पर मुखर रहने वाले दूसरे केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी इस मसले को अभी तक संसद में नहीं उठाया है. इन अपराधों के लिए बालियान अक्सर यूपी की समाजवादी पार्टी को कटघरे में खड़ा करते रहते हैं.
ऑल इंडियन डेमोक्रेटिक वुमेन एसोसिएशन की जगमति सांगवान ने मार्केट में बिक रहे रेप वीडियो पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है. जहां इस तरह के वीडियो के लिए एक बाजार मौजूद है.
उन्होंने फ़र्स्टपोस्ट को भरोसा दिलाया कि उनका संगठन इस मामले को उठाएगा. उन्होंने रेप वीडियो को बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाने का भी भरोसा दिलाया. हालांकि, इससे पहले रेप वीडियो के मसले पर सांगवान ने कभी सरकार पर कारवाई का दबाव नहीं बनाया.
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर रोजाना बयान देने वाले नेताओं के पास इस तरह के अपराधों पर बात करने के लिए वक्त नहीं है. इसकी वजह शायद यह है कि इस मामले में हाथ डालने से उन्हें कोई राजनीतिक फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है.
कानून नहीं सोच बदलना जरुरी
2012 के जघन्य निर्भया गैंगरेप केस के बाद बने भारी दबाव के चलते सरकार को सख्त कानून बनाने पड़े. इससे कई लोगों को लगा कि अब समाज महिलाओं के लिए सुरक्षित बन सकेगा. लेकिन, हालात अब भी जस के तस ही नजर आ रहे हैं.
रेप की घटनाएं लगातार हो रही हैं. शारीरिक शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. महिलाएं अभी भी रात में बाहर निकलने से डरती हैं.
निर्भया मामले के बाद, इंडियन पीनल कोड में संशोधन कर आर्टिकल 376 के तहत रेप के मामलों में न्यूनतम सजा 7 साल कर दी गई. आर्टिकल 345 में महिला की इजाजत के बगैर उसका सैक्सुअल एक्ट फिल्माने पर कम से कम तीन साल की सजा का प्रावधान है.
यह सब तब तक बेकार है, जब तक हमारा समाज महिलाओं के साथ भेदभाव को खत्म नहीं करता या संवेदनशील नहीं होता. बच्चों को स्कूलों में सेक्स एजुकेशन देना जरुरी है. पुरुष प्रधान की सोच को भी खत्म करना बेहद जरूरी है.
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