हरिद्वार की एक अदालत का पतंजलि आयुर्वेद पर जुर्माना लगाना बताता है कि कैसे बाबा ने लाला बनने तक का सफर तय किया है.
बाबा रामदेव कब लाला बन गए इस पर किसी ने गौर ही नहीं किया. इसकी भनक नहीं लगी कि कब वो एक विनम्र योग गुरु से हर तरह की बीमारी का इलाज और हर तरह का उत्पाद बेचने वाले कारोबारी में बदल गए.
हर दवा, हर इलाज
मसलन सेक्सुअल डिस्फंक्शन के लिए वह कहते हैं कि यह व्यक्ति की शक्ति का कम पड़ना है. बालों का झड़ना, एलोपेसिया और गंजापन पर बाबा का दावा है कि यह एक संक्रामक बीमारी है. जिन्हें बच्चे पैदा नहीं हो रहे हैं. उनके लिए बाबा कहते हैं, ‘मां-बहनों को मजबूरी में पाखंडियों के पास जाना पड़ता है.’ इसके लिए उनके पास शिवलिंगी पुत्रजीवक दवा है.
खुद ही ब्रांड एंबेसडर
बिना थके, वह खुद इसके ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं. भारत में जड़ों, पत्तियों, बीजों और अलग-अलग प्राकृतिक चीजों से रोगों के इलाज की सदियों पुरानी परंपरा रही है.
अब तो कोई औसत भारतीय अपने दिन की शुरुआत पतंजलि टूथपेस्ट के साथ करता है. और दिन का अंत बाबा के सुझाए प्राकृतिक गर्भ निरोधक (कॉन्ट्रासेप्टिव) के साथ. हालांकि बाबा की बेची जा रही हर चीज सोना नहीं है.
बाबा पर आरोप
खबरों के मुताबिक हरिद्वार की एक अदालत ने गुमराह करने वाले विज्ञापनों के लिए बाबा रामदेव की पतंजलि पर जुर्माना लगाया है. पतंजलि आयुर्वेद पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगा है.
कोर्ट ने कहा है कि कंपनी ने जिन उत्पादों को अपने यहां बनाया हुआ दिखाया है, वे दरअसल कहीं और बनाए गए हैं.
निचले दर्जे के उत्पाद
यह साफ नहीं है कि ये उत्पाद गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 2012 में एक केस जिला खाद्य सुरक्षा विभाग के यहां दाखिल किया गया था.
रुद्रपुर लैब में पतंजलि के सरसों तेल, पाइनेप्पल जैम, बेसन और शहद के सैंपलों के क्वालिटी टेस्ट पर खरा नहीं उतरने के बाद यह मामला दायर किया गया था.
बाबा के उत्पादों पर फूड सिक्योरिटी नियमों की धारा 52-53. और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड (पैकेजिंग और लेबलिंग) की धारा 23.1 (5) के उल्लंघन का आरोप लगा था.
पहले भी पतंजलि के दावों और इसके उत्पादों को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं. इसी साल अप्रैल में पतंजलि के आटा नूडल्स निचले दर्जे के पाए गए थे. इनमें स्वीकार्य सीमा से तीन गुना ज्यादा ऐश पाया गया था.
इसके पहले पतंजलि के बेचे जा रहे देसी घी में भी नकली रंग पाया गया था.
भरोसे का है पूरा धंधा
सबको पता है कि मार्केटिंग एक कला है, जिसमें सुनहरे सपने दिखाकर उत्पाद बेचे जाते हैं. अक्सर लोग किसी उत्पाद को बेच रहे शख्स पर भरोसा कर खरीद करते हैं. ऐसे में लोग उत्पाद की क्वालिटी पर ध्यान नहीं देते.
यही वजह है कि बाबा देश के सबसे मशहूर बाबा और लाला दोनों बन गए हैं. इससे यह भी पता चलता है कि देश के लोगों की उनमें और उनके बेचे जा रहे उत्पादों पर कितना भरोसा और आस्था है.
स्वदेसी के नाम पर कुछ भी बिकता है
हमारा देश प्राचीन ज्ञान और बीमारियों के इलाज की खोजों को दूसरों के मुकाबले बेहतर मानता है. ऐसे में स्वदेसी, वैदिक, हिंदू, शुद्ध जैसे नाम किसी भी उत्पाद को आसानी से बेचने का जरिया बन गए हैं.
साथ ही बाबा रामदेव भगवा को पवित्र मानने वाली भारतीय मनोदशा में एक खास दर्जा हासिल करने में सफल रहे हैं.
एक कंप्लीट पैकेज हैं बाबा
इस तरह के कई मामले रहे हैं जहां धार्मिक नेताओं ने राजनीतिक ताकत को भी हासिल कर लिया. लेकिन रामदेव शायद अकेले ऐसे बाबा हैं, जो अर्थ (पैसा), धर्म, काम (ताकत की इच्छा) और मोक्ष (निर्वाण) पूरे पैकेज के तौर पर मिलते हैं. इसी वजह से वह एक नेता और एक लाला दोनों रूप में स्वीकार्य भी हैं.
रामदेव की ताकत और प्रभाव उनकी कंपनी पर नियमों के उल्लंघन के आरोपों से कहीं ज्यादा बड़े हैं और राष्ट्रभक्ति के नाम पर उनके उत्पाद खरीदते हैं. लेकिन अंत में लोगों को क्या हासिल होता है... कपिल शर्मा का मशहूर डायलॉग- बाबाजी का ठुल्लू.
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