अयोध्या मामले की सुनवाई 10 जनवरी से शुरू होने वाली है. मामले की सुनवाई पांच जजों की संवैधानिक बेंच करेगी. इसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई करेंगे. इस बेंच में गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबड़े, एनवी रमाना, यूयू ललित और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं. पिछले शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान गोगोई ने कहा था कि यह मुद्दा राजनीतिक तौर पर संवेदनशील है. लिहाजा तीन जजों की बेंच सुनवाई नहीं करेगी. हालांकि अब पांच जजों की संवैधानिक बेंच बनाई गई है. ऐसे में आइए जानते हैं कौन हैं वो पांच जज जिनकी बेंच करने वाली है राम मंदिर मामले पर अहम सुनवाई...
रंजन गोगोई: सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस बेंच में शामिल हैं. रंजन गोगोई पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुर्खियों में छाए चार जजों में से एक हैं. वो वह देश के 46वें चीफ जस्टिस हैं. आपको बता दें कि 18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की.
साल 1978 में गुवाहाटी हाईकोर्ट से वकालत शुरू करने वाले जस्टिस गोगोई साल 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बने थे. इसके बाद उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वर्ष 2012 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था और इसके बाद वह चुनाव सुधार से लेकर आरक्षण सुधार तक के कई अहम फैसलों में शामिल रहे.
जाटों को केंद्रीय सेवाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दायरे से बाहर करने वाली पीठ में जस्टिस रंजन गोगोई शामिल थे. जस्टिस रंजन गोगोई ने असम में घुसपैठियों की पहचान के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) बनाने का दिया निर्णय दिया था. सौम्या मर्डर मामले में ब्लॉग लिखने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को अदालत में जस्टिस रंजन गोगोई ने तलब किया था. जस्टिस रंजन गोगोई ने जेएनयू छात्रनेता कन्हैया कुमार के मामले में एसआईटी गठन करने से साफ इनकार कर दिया था.
डी वाई चंद्रचूड़: 13 मई 2016 को उन्हें सु्प्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. इससे पहले वो 2013 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे और बॉम्बे हाई कोर्ट के जज भी रहे. साथ ही चंद्रचूड़ महाराष्ट्र ज्यूडिशियल अकेडमी के निदेशक भी रह चुके हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ सु्प्रीम कोर्ट की उस नौ सदस्यीय बेंच का हिस्सा भी रह चुके हैं जिसने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया. उनके पिता वाई वी चंद्रचूड़ देश के सबसे लंबे समय तक रहने वाले सीजेआई थे. जस्टिस चंद्रचूड़ ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं.
शरद अरविंद बोबड़े: 24 अप्रैल, 1956 को नागपुर में जन्मे बोबड़े सुप्रीम कोर्ट के जज हैं और साथ ही वो महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, मुंबई और महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के चांसलर भी हैं. इससे पहले वो मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी थे. उनका कार्यकाल 23 अप्रैल, 2021 में खत्म होने जा रहा है. बोबड़े का सुप्रीम कोर्ट में आठ साल का कार्यकाल है और वो आगे चल के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी बन सकते हैं.
ए वी रामना: 27 अगस्त, 1957 को जन्में रामना भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों में से एक हैं. इससे पहले वो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. इसके अलावा एन वी रामना आंध्रप्रदेश जूडिशियल एकेडमी के प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल का आठ साल का है और वो 26 अगस्त, 2022 को रिटायर होंगे. देश के अगले सीजेआई की दौड़ में इनका नाम भी शामिल है.
उदय उमेश ललित: जस्टिस ललित ऐसे एडवोकेट हैं, जिन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त किया गया है. उनके पिता यू आर ललित दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व एडिशनल जज रह चुके हैं. 2011 में सुप्रीम कोर्ट की जीएस सांघवी और एके गांगुली की बेंच ने उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम के मामले में सीबीआई के लिए स्पेशल पब्लिक प्रोसेक्यूटर नियुक्त किया था.
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