राजस्थान के राजसमंद में बेरहमी से क़त्ल किए अफराजुल खान के परिवार की खातिर घर छोड़ डेढ़ हजार किलोमीटर दूर जाने की कहानी काफी दिलचस्प है.
अफराजुल ने 14 साल की उम्र में अपने परिवार के लिए घर छोड़ दिया था. वह पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती मालदा जिले के सैयदपुर का रहने वाला था.
6 दिसंबर को दरिंदगी से उसको मारा गया और फिर जिंदा ही जला दिया गया. उसे मारने वाला कथित ‘लव-जिहाद’ और इस्लाम के खिलाफ बोल रहा था.
द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक उसने करीब 30 सालों तक राजस्थान में मजदूरी की. इस दौरान उसने बड़ी मुश्किलों में अपनी जिंदगी गुजारते हुए अपने भाइयों को पढ़ाया और परिवार में सबकी शादी की व्यवस्था की. उसने खुद 22 की उम्र में शादी की, अपने भाइयों की और दो बेटियों की शादी कराई और अपने भतीजे भतीजियों की भी.
क्या पता था आएगा ऐसा दिन
उसके भाई, बच्चे और भतीजे उसे याद करते हुए मायूस हो जाते हैं. उन्हें वह ऐसे व्यक्ति के रूप में याद आते हैं जिसने उन्हें बेहतर जिंदगी देने के जी तोड़ कोशिश की. उसकी अपने परिवार से रोज बात होती थी.
लेकिन उसे नहीं पता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब उसकी जिंदगी अचानक ऐसा मोड़ ले लेगी और वह अकारण मौत के घाट उतार दिया जाएगा. आज उसकी कहानी ने नफरत के कारण हो रही हत्याओं की कड़ी में एक और बुरा अध्याय जोड़ दिया है.
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