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#MeToo: जब राजीव गांधी के मंत्री पर लगा था यौन शोषण का आरोप

इन दोनों मामलों से ये तो साफ है कि अगर केंद्रीय मंत्रियों पर इस तरह के आरोप लगते हैं तो पीड़िताओं को सपोर्ट की गुंजाइश कम ही है

Updated On: Oct 16, 2018 11:21 AM IST

FP Staff

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#MeToo: जब राजीव गांधी के मंत्री पर लगा था यौन शोषण का आरोप

केंद्रीय मंत्री और पूर्व संपादक एमजे अकबर ने अपने ऊपर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद भी अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है और उन्होंने मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया है. दरअसल, इस वाकये के जरिए इतिहास खुद को दोहरा रहा है. 80 के दशक में भी एक केंद्रीय मंत्री पर यौन शोषण के आरोप लगे थे और उन्होंने इसे पॉलिटिकल स्टंट बताते हुए मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी थी.

1989 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कैबिनेट में पर्यावरण मंत्री थे जियाउर रहमान अंसारी. उनपर 26 साल की एक इन्वॉयर्नमेंटल एक्टिविस्ट मुक्ति दत्ता ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. दत्ता उस साल 11 अक्टूबर को पर्यावरण भवन में स्थित मंत्री के ऑफिस गई थीं, वहीं उन्होंने अपने साथ ऐसी घटना होने की शिकायत की थी.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 1989, 28 अक्टूबर को हिंदू में छपे रिपोर्ट के मुताबिक, दत्ता ने 17 अक्टूबर को तत्कालीन कैबिनेट सचिव टी.एन. शेषन और प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव  बी.जी. देशमुख से अंसारी के व्यवहार के बारे में शिकायत की.

हालांकि, सरकार की तरफ से मंत्री के खिलाफ कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद दत्ता ने 27 अक्टूबर को लोधी कॉलोनी पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत देकर एफआईआर दर्ज करवाया. दत्ता ने इसके साथ ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. यहां उन्होंने प्रेस के सामने अंसारी पर आरोप लगाए कि उन्होंने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया.

इसके अगले दिन ही अंसारी ने एक बयान जारी कर इसे झूठा आरोप बताया और कहा कि वो दत्ता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करेंगे. उन्होंने ये भी दावा किया उन्हें इसलिए टारगेट किया जा रहा है ताकि उन्हें लोकसभा सीट उन्नाव की टिकट न मिले.

वर्तमान की एनडीए सरकार में विदेश राज्य मंत्री का ओहदा संभाल रहे एमजे अकबर पर 14 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. जिस वक्त अकबर पर ये आरोप लगाए गए, वो नाइजीरिया के दौरे पर गए हुए थे. पहले तो सरकार में इन आरोपों पर चुप्पी लगी रही. फिर अकबर के आने का इंतजार होने लगा. जब अकबर आए तो उन्होंने इसे पॉलिटिकल स्टंट बता दिया और उनके खिलाफ बोल रही महिलाओं में से एक प्रिया रमानी पर मानहानि का मुकदमा कर दिया.

इस मामले के सामने आने के बाद सरकार का जो रवैया था वो अब भी वैसा ही है. सरकार ने न ही अकबर से इस्तीफे की मांग की है, न ही उनसे खुद अपने पद से हट जाने को कहा गया है. आरोपों के साबित होने तक एमजे अकबर अपने पद पर बने रहेंगे. और उसके बाद भी इस मामले में जो फैसला लिया जाएगा, उसके बाद उनका भविष्य निर्धारित होगा.

लेकिन इन दोनों मामलों से ये तो साफ है कि अगर केंद्रीय मंत्रियों पर इस तरह के आरोप लगते हैं तो पीड़िताओं को सपोर्ट की गुंजाइश कम ही है.

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