सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी ठहराए गए एक मुजरिम की अर्जी पर बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इस अर्जी में दोषी ए जी पेरारिवलन ने उसे साजिश की जानकारी नहीं होने के आधार पर शीर्ष अदालत से अपना मई 1999 का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया है जिसमे उसकी दोषसिद्धि बरकरार रखी गई थी.
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आर भानुमति की पीठ ने जांच एजेंसी को इस अर्जी पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट इस अर्जी पर 21 फरवरी को आगे विचार करेगा. पेरारिवलन ने अपनी अर्जी में सीबीआई के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वी त्यागराजन के हलफनामे का हवाला दिया जिन्होंने टाडा के तहत उसका इकबालिया बयान दर्ज किया था.
अर्जी में कहा गया है कि जांच ब्यूरो के पूर्व अधिकारी ने अपने हलफनामे में कहा था कि पेरारिवलन ने अपने इकबालिया बयान में साफ कहा था कि दो बैट्रियां खरीदते समय उसे इस बात का कोई आभास नहीं था कि इनका इस्तेमाल किस काम में होगा.
शीर्ष अदालत ने मई 1999 के अपने फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के अपराध में चार दोषियों- पेरारिवलन, मुरूगन, संतम और नलिनी की मौत की सजा बरकरार रखी थी. पेरारिवलन ने पहले शीर्ष अदालत से कहा था कि उसे नौ वोल्ट की दो बैट्रियां उपलब्ध कराने के अपराध में दोषी ठहराया गया था जिनका इस्तेमाल वह विस्फोटक उपकरण बनाने में किया गया था जिससे राजीव गांधी की हत्या की गई थी.
राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी सभा के दौरान आत्मघाती बम विस्फोट से हत्या कर दी गई थी. इस विस्फोट में मानव बम धनु सहित 14 अन्य व्यक्ति भी मारे गए थे.
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