राजस्थान सरकार एक विवादास्पद कानून को लेकर फिर से सुर्खियों में आ चुकी है. सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में राजस्थान सरकार एक ऑर्डिनेन्स लाने जा रही है. इस अधिसूचना के मुताबिक राज्य के अफसरों, विधायकों-सांसदों और जजों के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा.
इस आर्डिनेंस के बाद सरकार की मंजूरी के बिना इनके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं कराया जा सकेगा. यही नहीं, जब तक एफआईआर नहीं होती, मीडिया में इसकी रिपोर्ट भी नहीं की जा सकेगी. ऐसे किसी मामले में मीडिया में किसी का नाम लेने पर दो साल की सजा भी हो सकती है. इसे मीडिया के अधिकारों पर भी शिकंजे के रूप में देखा जा रहा है.
मीडिया पर भी होगी सख्ती
इसके मुताबिक किसी जज या पब्लिक सर्वेंट की किसी कार्रवाई के खिलाफ, जो कि उसने अपनी ड्यूटी के दौरान की हो, आप कोर्ट के जरिए भी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते. ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए पहले सरकार की मंजूरी लेना जरूरी होगा.
अगर सरकार ने इजाजत नहीं दी तो 180 दिनों के बाद किसी पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ कोर्ट के जरिए एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है. ऐसे 'आरोपी' का नाम तब तक मीडिया में नहीं आ सकता जब तक कि सरकार इसकी इजाजत ना दे दे. अगर मंजूरी से पहले ऐसा हुआ तो 2 साल तक की सजा दी जा सकती है.
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