राजस्थान सरकार की कर्ज माफी योजना में फर्जीवाड़ा सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अधिकारियों ने किसानों के नाम पर अपने रिश्तेदारों को लोन दिला दिया.
इसके अलावा कर्जमाफी के लिए बनाई गई सूची में कई नाम ऐसे भी हैं जिन्होंने लोन नहीं लिया है और वह आर्थिक रूप से भी काफी मजबूत हैं. मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे लोगों ने अधिकारियों को कर्जमाफी में हिस्सा देने का लालच दिया.
इस फर्जीवाड़े के बारे में तब पता लगा, जब गांवों में कर्जमाफी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सहकारी विभाग की टीम पहुंची. इस बात का खुलासा होने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने जांच के आदेश दिए हैं.
इस मामले में करीब आधा दर्जन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है. वहीं किसान संगठनों का कहना है कि इस मामले की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से जांच कराई जाए.
घोटाले का सबसे पहला मामला डूंगरपुर से सामने आया. बाद में टोंक,भरतपुर, प्रतापगढ़, और चूरू में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं.
डूंगरपुर में लोगों को एक करोड़ 44 लाख रुपए का लोन दिया गया वहीं जेठाणी और गोवाड़ी की सोसायटी में भी 110 किसानों के नाम पर दूसरे लोगों को 70 करोड़ रूपए का लोन दिया गया.
डूंगरपुर में तो सहकारी समिति के व्यवस्थापक ने अपनी बेटी और भांजे को ही लोन दे दिया. राज्य के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना का कहना है कि मामले की पूरी जांच कराई जाएगी.
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