राजस्थान सरकार की कर्जमाफी योजना में सामने आए घोटाले की जांच के लिए अशोक गहलोत सरकार ने एक जांच समिति गठित की है. गहलोत सरकार ने कहा है कि ये घोटाला वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान ही हुआ है.
पिछले दिनों सामने आए 8.30 करोड़ के किसानों के कर्जमाफी के इस घोटाले में गहलोत सरकार ने वसुंधरा सरकार पर आरोप लगाए हैं. वहीं बीजेपी इसके लिए राज्य की नई सरकार को दोषी ठहरा रही है. अब न्यूज18 इंडिया के मुताबिक गहलोत ने एक जांच समिति गठित की है.
बीजेपी के नेताओं ने 6 जनवरी को डूंगरपुर जिले में किसानों की कर्जमाफी की योजना में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया था.
किसानों ने भी आरोप लगाया कि कर्जमाफी के लिए किसानों के नाम की जो लिस्ट जारी की गई थी, उसमें गंभीर गड़बड़ियां हैं. इस लिस्ट में कई ऐसे किसानों के नाम थे, जिन्होंने लोन लिया ही नहीं था और आर्थिक तौर पर मजबूत हैं. वहीं कुछ दूसरे किसानों के नाम पर कुछ और लोगों ने लोन ले लिया है.
कहा जा रहा है कि किसानों को कर्जमाफी की जानकारी ही नहीं थी. उधर सरकारी अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों को लोन दिला दिया.
इस फर्जीवाड़े के बारे में तब पता लगा, जब गांवों में कर्जमाफी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सहकारी विभाग की टीम पहुंची. इस मामले में करीब आधा दर्जन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है. वहीं किसान संगठनों का कहना है कि इस मामले की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से जांच कराई जाए.
डूंगरपुर में लोगों को एक करोड़ 44 लाख रुपए का लोन दिया गया वहीं जेठाणी और गोवाड़ी की सोसायटी में भी 110 किसानों के नाम पर दूसरे लोगों को 70 करोड़ रूपए का लोन दिया गया.
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